Move to Jagran APP

छह गांव की सड़क गड्ढों और तालाब में तब्दील

संवाद सहयोगी कायमगंज तराई क्षेत्र के छह से अधिक गांवों को जोड़ने वाली अजमतपुर-खलमापुर क

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 06:55 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 06:55 PM (IST)
छह गांव की सड़क गड्ढों और तालाब में तब्दील
छह गांव की सड़क गड्ढों और तालाब में तब्दील

संवाद सहयोगी, कायमगंज : तराई क्षेत्र के छह से अधिक गांवों को जोड़ने वाली अजमतपुर-खलमापुर की सड़क का करीब दस किमी भाग इतना ऊबड़खाबड़ है कि इस सड़क पर पग-पग पर गड्ढे ही हैं। सड़क का तो कहीं नामोनिशान नहीं है। बारिश के सीजन में तो पुलिया के पास की सड़क तालाब में तब्दील हो गई। हद तो यह कि 20 वर्ष पहले बनी सड़क की बाद में कोई सुध नहीं ली गई।

loksabha election banner

तराई क्षेत्र की बड़ी ग्राम पंचायत कुआंखेड़ा बजीरआलम में करीब 26 मजरे शामिल हैं। इसी ग्राम पंचायत के मजरा अजमतपुर से खान आलमपुर (खलमापुर) की सड़क के इन दो गांव के अलावा गोपाल नगर मझरियां, पट्टिया, मदनपुर व भकुसा, कुआंखेड़ा आदि गांव भी जुड़े हैं। इन गांवों के हजारों ग्रामीण इस सड़क से प्रभावित हैं। इन ग्रामों के निवासी लालबहादुर, संतराम, श्यामपाल, वीरेश, मदनलाल, रामविलास, सावेज, राजवीर आदि ने बताया कि खराब सड़क से आना जाना प्रभावित होने से इस क्षेत्र के गांवों में अनेक समस्याएं पैदा हो गई हैं। बीमारी के इलाज के लिए तत्काल बाहर नहीं जा पाते। अनाज पिसाने के लिए प्रमुख गांव कुआंखेड़ा व अजमतपुर जाने के लिए चार-चार किमी के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ऊबड़-खाबड़ पड़ी सड़क की किसी भी नेता या अधिकारी ने सुध नहीं ली। सड़क ध्वस्त होने के कारण खेतों में तैयार हुई फसल समय से घर नहीं आ पाती, जिससे फसल बारिश व अन्य कुदरती आपदाओं से खराब हो जाती है।

- राजकुमार, गांव अजमतपुर तराई क्षेत्र में यह डामर सड़क बनी थी, तभी इसकी पुलिया बगैरह बनी। दो वर्ष तो सड़क ठीक रही, फिर ऊबड़खाबड़ हो गई। वर्ष 2010 में आई बाढ़ में सड़क पूरी तरह ध्वस्त हो गई। तब से इस सड़क व पुलियों की मरम्मत तक नहीं हुई। टूटी पुलियों में पानी भर जाने से सड़कें तालाब बन जाती हैं।

- रामभरोसे, गांव अजमतपुर पांच बीघा खेत खानआलमपुर व कुआंखेड़ा के बीच है। जिसमें मक्का की फसल बोई थी। खेत में बाढ़ का पानी भरने की सूचना मिली, लेकिन ऊबड़खाबड़ इस सड़क की टूटी पुलियों के पास भरे पानी के कारण अपनी फसल नहीं बचा पाए। टूटी पुलियों के पास तालाब जैसी हालत हो जाने पर ग्रामीणों को घुटनों तक भरे पानी से निकलना होता है।

- संजेश कुमार, गांव सड़क खराब होने व पानी भरा होने से तंबाकू, मक्का, बाजरा आदि की फसलों को कायमगंज मंडी ले जाने में परेशानी होती है। लंबे समय से खराब पड़ी इस सड़क पर न तो कोई नेता ध्यान देते हैं, न ही अधिकारी। प्रधान, बीडीसी से लेकर सांसद तक के चुनाव में लोग वोट मांगने पर तमाम वादे करते हैं। बाद में कोई मुड़कर नहीं देखता।

- राकेश कुमार, गांव मंझरिया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.