साहब! कागज पर ही बने भूमि के स्वामी, आज तक नहीं मिला कब्जा
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद शातिर दिमाग भूमाफिया ने राजस्व कर्मियों से गठजोड़ कर गंगा रे
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शातिर दिमाग भूमाफिया ने राजस्व कर्मियों से गठजोड़ कर गंगा रेती की भूमि के पट्टे गरीब ग्रामीणों के नाम तो करवा दिए थे, लेकिन 17 वर्ष बाद भी अधिकांश पट्टेदार कब्जा नहीं पा सके। पट्टेदार तहसील से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक चक्कर काटते रहे, कागज लेखपाल के पास पहुंचा तो वह टरकाते रहे। गुरुवार को पट्टेदारों ने 'जागरण' से बातचीत में आपबीती सुनाई, जिससे भूमाफिया के इस काकस का नया रूप सामने आया।
तहसील सदर क्षेत्र के गांव कटरी अमेठी कोहना की जिस 417 एकड़ भूमि को गंगा से छीनकर पट्टे किए गए थे, उसमें से अधिकांश भूमि पर अभी भी भूमाफिया ही काबिज हैं। गरीब पट्टेदारों को अभी तक कब्जा नहीं मिला। तहसीलदार की ओर से पट्टा निरस्तीकरण की संस्तुति किए जाने की जानकारी उन्हें सुबह 'दैनिक जागरण' में प्रकाशित खबर से हुई। गांव अमेठी कोहना निवासी पट्टेदार सुखरानी, भगवान देवी, राजवती, रामपोथी, ममता, जलील खां, खलील खां आदि ने बताया कि उन्हें वर्ष 2003 में गंगा की रेती में पांच-पांच बीघा भूमि के पट्टे दिए गए थे, लेकिन कब्जा आज तक नहीं मिला। वह लोग कब्जा लेने के लिए हजारों रुपये भागदौड़ में खर्च कर चुके हैं। क्षेत्रीय लेखपाल उन्हें टरका देते हैं। गंगा की रेती में दबंगों का कब्जा है। वह लोग गेहूं आदि की फसलें करते हैं। विदित है कि तहसीलदार ने गंगा रेती की भूमि पर किए गए अवैध पट्टों को निरस्त किए जाने की संस्तुति की है। पट्टेदारों का कहना है कि प्रशासन भले ही उनके पट्टे निरस्त कर दे, लेकिन भूमाफिया से कब्जा नहीं छुड़ाया जा सकेगा। तहसीलदार सदर राजू कुमार ने बताया कि जांच अभी जारी है। जांच पूरी होने पर ही कुछ निर्णय लिया जा सकेगा।
होशियार पट्टेदार बेच चुके हैं भूमि
कई ऐसे पट्टेदार हैं जिन्होंने कब्जा न मिलता देखकर भूमाफिया को ही कागज के आधार पर बैनामा कर दिए। सर्वाधिक बिक्री पांचालघाट बंधा के किनारे भूमि की हुई है। उसी भूमि पर कुछ आश्रम बने हैं, कुछ पर खेती हो रही है।
नसबंदी कराने पर महिलाओं को मिले थे पट्टे गांव अमेठी जदीद निवासी भाजपा नेता शिवरतन अग्निहोत्री ने बताया कि पूर्व में नसबंदी कराने वाली भूमिहीन महिलाओं को पट्टे दिए जाने की योजना आई थी। जिसके तहत उनकी पत्नी को भी पट्टा मिला था। अन्य दर्जनों महिलाओं के नाम पट्टे हुए। अब वही पट्टे निरस्त किए जाने की तैयारी की जा रही है जो गलत है। प्रशासन को पट्टों पर गरीबों को कब्जा दिलाना चाहिए।