सेंट्रल जेल में बनाए जाएंगे भगवा झोले
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में अब भगवा झोले बनाए जाएंगे, जो पॉलीथिन क
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में अब भगवा झोले बनाए जाएंगे, जो पॉलीथिन का विकल्प तो बनेंगे ही साथ में कैदियों को आर्थिक रूप से प्रोत्साहन भी मिलेगा। डीआइजी जेल की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने स्वीकृति दे दी है।
इसे पॉलीथिन के खिलाफ जंग कहें या फिर स्वच्छता का संदेश। डीआइजी जेल कानपुर रेंज और सेंट्रल जेल के प्रभारी वरिष्ठ अधीक्षक वीपी त्रिपाठी ने जेल में उपलब्ध श्रमशक्ति के समुचित उपयोग के साथ ही स्वच्छ भारत अभियान में योगदान के लिए अभिनव प्रयोग किया है। उन्होंने बायोडिग्रेबल मैटेरियल से जेल में सस्ते झोलों के निर्माण का प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा था। गांधी जयंती पर लखनऊ में जेल मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर जेल उत्पादों की प्रदर्शनी में उन्होंने प्रोजेक्ट का प्रारूप व सैंपल के तौर पर भगवा रंग के झोले प्रदर्शित किए थे।
अनुभवी कैदी करेंगे प्रशिक्षित
सेंट्रल जेल में 1459 कैदियों की क्षमता है। इसके सापेक्ष 2147 कैदी सजा काट रहे हैं। इनमें काफी कैदी वृद्धावस्था या बीमारी के चलते काम करने की स्थिति में नहीं हैं। लगभग डेढ़ हजार कैदियों की श्रमशक्ति उपलब्ध है। लगभग एक दर्जन कैदियों को सिलाई कार्य का अनुभव है। इन्हीं कैदियों से लगभग 600 थैले तैयार कराए गए हैं। अन्य कैदियों को प्रशिक्षित कर झोलों का निर्माण कराया जाएगा। सीधी सिलाई होने के चलते प्रशिक्षण में दिक्कत नहीं आएगी।
एक कैदी बनाएगा रोजाना 200 झोले
एक अनुमान के अनुसार एक कैदी प्रतिदिन एक मशीन पर लगभग 200 झोले तैयार कर सकेगा। कैदियों को प्रति झोला की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साइज के अनुरूप एक झोले पर विपणन लागत निकालकर दस से तीन रुपये तक का मार्जिन रखने की योजना है। बिक्री के आधार पर उत्पादन बढ़ाया जाएगा।
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''केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ में बायोडिग्रेबल मैटेरियल से बने झोलों का उत्पादन शुरू करने की योजना है। इसके लिए लगभग 300 सिलाई मशीनें लगाई जाएंगी। इससे जहां कैदियों को रोजगार मिलेगा, वहीं जेल से स्वच्छता का संदेश भी जाएगा। इन झोलों की मार्के¨टग की योजना भी तैयार की जा रही है।''
- वीपी त्रिपाठी, डीआइजी जेल, कानपुर परिक्षेत्र