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आस्था की बूंदों से बरसा पुण्यामृत, मन्नतों के लिए अ‌र्घ्य

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मां शारदा के प्रिय पर्व बसंत पंचमी के दूसरे दिन भी माघ मेला राम

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 10:43 PM (IST)
आस्था की बूंदों से बरसा पुण्यामृत, मन्नतों के लिए अ‌र्घ्य

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मां शारदा के प्रिय पर्व बसंत पंचमी के दूसरे दिन भी माघ मेला रामनगरिया में पूरे दिन पुण्यामृत बरसता रहा। गंगा की पवित्र धारा में पुण्य की डुबकी संग जयघोष गूंजते रहे। कोई एक तो कोई दो तीन, अनगिनत डुबकियां लगाने वालों का भी ओर-छोर नहीं। हर डुबकी में आस्था की बूंदे मानों अमृत बरसा रही हों। दोनों हाथों की अंगुलियां जुड़ती रहीं, मन्नतों के अ‌र्घ्य देने का सिलसिला चलता रहा।

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वीणा वादिनी के पूजन पर्व से प्रकृति के कण-कण में शुरू नव उत्साह की हिलोर पांचाल घाट पर गंगा तीरे बसी रामनगरिया में सोमवार को भी आल्हादित रही। बसंत पंचमी स्नान को आए अनेक श्रद्धालु कल्पवास क्षेत्र में अपने परिचितों, नातेदारों व भाई बंधुओं के यहां ही ठहर गए। सोमवार को फिर उन्होंने मां गंगा की पुण्यदायी धारा में डुबकी लगाई। भोर से शुरू हुआ स्नानार्थियों का प्रवाह दोपहर को और अधिक बढ़ गया। घाटों पर सनातन धर्म की जय-जयकार होती रही। स्नान, दान, पूजन से गंगा के सभी घाट आस्था के वैभव से सराबोर बने रहे। खरीददारी से बाजार क्षेत्र की चमकी रंगत

डुबकी में जनम-जनम के पापों से मुक्ति, दान से मिला संतोष। फिर घाट से हौले-हौले कदम चल पड़े मेला भ्रमण को। 10 रुपये में खरीदो या फिर 20 रुपये में, पांच रुपये में भी दुकान पर हर माल मौजूद। ऐसे ही बोर्ड लगी दुकानों पर खरीदारों की खूब भीड़ उमड़ी। मन से पसंद कर खरीदा सामान। मिठाई की दुकानों पर कम, चाट की दुकानों पर भीड़ ही भीड़। बाजार क्षेत्र खरीदारी और बिक्री में चहकता रहा। बच्चे अपने परिजनों की कसकर उंगली पकड़कर बढ़ते जा रहे थे। उन्हें मनोरंजन क्षेत्र के झूले को बुला रहे। जैसे जैसे झूले पास आ रहे, बच्चों के मन में खुशी और आनंद की खुमारी बढ़ती जा रही। तीर्थ पुरोहितों हों या दुकानदार। चार पहिया ठिलिया हो या गंगा की रेत पर बिछौना बिछाकर लगाया सामान। गंगा मइया सबको दे रही थीं। भुने आलू की झोपड़ीनुमा दुकानों पर मानों पिकनिक पार्टी चल रही हो। पूरे देश में मशहूर फर्रुखाबादी आलू गंगा की रेत में भूना गया तो उसके आगे व्यंजन फीके। आलू के साथ हरे धनिया की नमक और चटनी। क्या कहने इस स्वाद के। वाह रामनगरिया, कुछ ऐसे ही भावों से लोग जाते रहे तो आने वालों की भी कमी नहीं थी। दस-दस रुपये में लगा रहे जान की बाजी

स्टंट और हुनर की जुगलबंदी के बीच मौत के कुएं में दस-दस रुपये के लिए जान की बाजी भी लग रही। ऊपर खड़े दर्शकों के हाथ में लहराते नोट पकड़ने के लिए मौत के कुएं में गोल घेरे में नीचे से तेज बाइक व कार चलाते हुए स्टंटबाज ऊपर तक आते हैं, नोट लपककर फिर नीचे पहुंचते। इस हैरत भरे प्रदर्शन में हर पाल जान की ही बाजी लगती


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