कमीशन के फेर में लटका 'आशा' का भुगतान
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं को अमली जामा पहनाने में आशा का
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं को अमली जामा पहनाने में आशा कार्यकत्रियों का काफी बड़ा योगदान होता है। हालांकि विभागीय कर्मियों की मनमानी के चलते अल्प मानदेय भोगी आशा बहुओं का भुगतान नहीं हो पा राह है। भुगतान लटकने पर मजबूरन आशाओं को सुविधा शुल्क देना पड़ता है, इसके बाद ही उनके खाते में रुपये ट्रांसफर किए जाते हैं।
जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के प्रसव कराने से लेकर टीकाकरण, पोलियो आदि स्वास्थ्य योजना का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए जनपद में तैनात जनपद में 1447 आशा बहुओं को निर्धारित मानदेय दिया जाता है। विभागीय जानकारी के मुताबिक 75 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पोलियो अभियान में आशाओं को रुपये मिलते हैं, इसके अलावा टीकाकरण में 150 रुपये मिलते है। अगर सीएमओ कार्यालय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा तो उन्हें आने जाने का भाड़ा भी मिलेगा, लेकिन कागजों में ही भुगतान कर दिया जाता है। यही स्थिति आंगनवाड़ी कार्यकत्री और एएनएम की है। उनसे भी ड्यूटी कराने के बाद विभाग रुपये देना भूल जाता है। सीएचसी स्तर पर कमीशनबाजी के चक्कर में उनका भुगतान लटका रहता है। इसके चलते अब आशा कार्यकत्रियों ने प्रसूताओं को निजी अस्पतालों में पहुंचाने का धंधा शुरू कर दिया है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. अरुण कुमार उपाध्याय ने बताया कि 90 फीसदी आशाओं का भुगतान किया जा चुका है। शेष आशा बहुओं के भुगतान की कार्रवाई की जा रही है।