मां, कोई मजबूरी थी..या मैं बेटी थी
संवाद सूत्र, कंपिल: मां, मुझे इस तरह क्यों फेंक दिया। इसलिए कि मैं बेटी थी या कोई और मजबूरी
संवाद सूत्र, कंपिल: मां, मुझे इस तरह क्यों फेंक दिया। इसलिए कि मैं बेटी थी या कोई और मजबूरी थी? किसी मां के हाथ अपने कलेजे के टुकड़े को फेंकने के लिए आसानी से नहीं उठ सकते तो आपने ऐसा क्यों किया मां? अगर मुझे फेंकना ही था तो अपनी कोख में पाला ही क्यों? वो कष्ट अपने शरीर को ही क्यों दिए मां? क्या मुझे फेंकते वक्त आपके हाथ नहीं कांपे? क्या ये समाज की बेड़ियां ममता से ज्यादा मजबूत हो गई। आपने मेरे नन्हें मन की आवाज तक नहीं सुनी। मुझे यूं ही मौत की गोद में फेंक दिया। ये सवाल उस नन्हीं परी के उस कठोर दिल मां से हैं, जिसने उसे अखबार में लपेट कर जानवरों का भोजन बनने के लिए फेंक दिया। जो इस हृदय विहीन समाज में पैदा तो हुई, लेकिन चंद घंटों में ही दुनिया को विदा कह गई।
रविवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे कंपिल रुदायन रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय पट्टी मदारी के समीप ग्रामीणों ने अखबार और गमछे में लिपटे नवजात को देखा तो उनके कदम ठिठक गए। पास जाकर देखा तो बेटी मृत अवस्था में पड़ी थी। घटना की सूचना गांव में फैलते ही लोगों की भीड़ एकत्र हो गई और तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। शरीर पर कोई कपड़ा भी नहीं था। अखबार में लपेटकर झाड़ियों में नवजात को फेंक कर उसकी मां चली गई। बरसात और भूख ने हमेशा के लिए नवजात को मौत की नींद सुला दी। गनीमत रही कि जंगली जानवरों की नजर उस पर नहीं पड़ी। क्षेत्र में यह दूसरा मामला है। इससे पहले करीब छह माह पूर्व इसी तरह नगर के मोहल्ला चौधरियान के नाले में एक नवजात का शव मिला था। इस मामले से एक बार फिर मां की ममता शर्मसार हुई थी। लोगों ने पास के ही एक खेत में गड्डा खोदकर दफना दिया। मामले की सूचना थाने में नहीं दी गई।