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माघ मेला का शंखनाद, 'श्री सूक्त' मंत्रों से गूंजीं दिशाएं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : फूलों की लड़ियों से चहुंओर बिखरी सुगंध। रंग-बिरंगे गुब्बारो

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 10:44 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 10:44 PM (IST)
माघ मेला का शंखनाद, 'श्री सूक्त' मंत्रों से गूंजीं दिशाएं
माघ मेला का शंखनाद, 'श्री सूक्त' मंत्रों से गूंजीं दिशाएं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : फूलों की लड़ियों से चहुंओर बिखरी सुगंध। रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजा पंडाल। 11 वेदियों पर हवन करते गुरुकुल के बटुक, श्री सूक्त मंत्रों से गूंजतीं दिखीं दिशाएं और मिला संत संगत का सानिध्य। श्रद्धा व भक्ति के ऐसे ही उल्लास में सोमवार को माघ मेला रामनगरिया का शंखनाद हुआ। पंडाल में पूजन हवन के बाद मां गंगा की जलधारा का विधि विधान से पूजा अर्चना हुई। दीपों को प्रज्ज्वलित कर हौले-हौले समर्पित किया गया तो मां का आंचल किरणों की रंगोली से दमक उठा।

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मेला के प्रशासनिक क्षेत्र परिसर में सजे धजे पंडाल में कुर्सियों पर विराजमान संत-महात्मा शोभा बढ़ा रहे थे। संतों को माल्यार्पण के बाद माघ मेला सकुशल संपन्न होने के लिए पूजन शुरू हुआ। पूजन पश्चात 11 वेदियों पर हवन किया गया। पांचाल घाट स्थित श्री रविशंकर आश्रम के बटुकों ने श्री सूक्त मंत्रों के साथ हवन में आहुतियां डालीं। मुख्य वेदी पर जिलाधिकारी मोनिका रानी, पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा, मेला सचिव एसडीएम सदर अमित असेरी, एएसपी त्रिभुवन ¨सह व अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ ने आहुति डालीं। मेले के मुख्य आचार्य शिवकुमार शास्त्री, आचार्य अनीस मिश्र ने श्री गणेश, लक्ष्मी व गंगा पूजन कराया। नृत्य करती रही 'रोशनी' की आभा

पंडाल में कार्यक्रम के बाद गंगा तट पर पूजन किया गया। गीली रेत पर सजी सफेद रंगोली पर रखे 5001 दीप तट पर अनूठे आनंद से सराबोर कर रहे थे। अधिकारियों ने नाव पर बैठकर दीपदान किया। नाव से ही गंगा मैया की आरती की। इसके बाद कल्पवासियों ने दीप प्रज्जवलित कर जल में थपकी देकर दीपों को हौले-हौले आगे बढ़ाया। गंगा में दीपों की अनगिनत श्रंखलाएं इठलाती लहरों के साथ आगे बढ़ीं तो लगा मानों गंगा जल में 'रोशनी' की आभा नृत्य कर रही हो। इससे पूर्व मुख्य गेट पर डीएम, एसपी व सीडीओ अपूर्वा दुबे ने फीता काटकर गुब्बारे उड़ाते हुए मेले के विधिवत उद्घाटन की घोषणा की। विकास प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया गया। पंडाल में कुर्सियों पर बैठे संतों का माल्यार्पण किया गया। केंद्रीय कारागार के बंदियों ने बैंड धुन पर भजनों की माला पिरोई।


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