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आस्था व आनंद की हिलोर, महाडुबकी को जन समुद्र

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद: धनु, कर्क व कुंभ राशि में दो-दो ग्रहों का अछ्वुत संयोग। पुण्यदायी

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 10:42 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 10:42 PM (IST)
आस्था व आनंद की हिलोर, महाडुबकी को जन समुद्र
आस्था व आनंद की हिलोर, महाडुबकी को जन समुद्र

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद: धनु, कर्क व कुंभ राशि में दो-दो ग्रहों का अछ्वुत संयोग। पुण्यदायी इस बेला में हाथों में झोला लिए नर, नारी, युवा और बच्चों का हुजूम माघ मेला रामनगरिया के पांचाल घाट गंगा तटों की ओर बढ़ता रहा। हर हर गंगे, जय गंगे मइया के जयघोष से गंगा के घाट आल्हादित हो रहे थे। माघी पूर्णिमा की महाडुबकी में श्रद्धालुओं का आनंद आस्था की हिलोर में बाग-बाग हो रहा था। मध्य रात से शुरू हुआ यह स्वप्निल नजारा बस चलता रहा, जैसे पुण्य की डुबकी को जन समुद्र रह-रहकर उमड़ रहा हो।

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गंगा की रेती पर बसा माघ मेला रामनगरिया अपने अंतिम स्नान पर्व पर भक्ति व श्रद्धा के गठरी को रह-रहकर संजो रहा था। पुण्य पाने का उल्लास अमृत घट बनकर छलकता रहा। सोमवार रात 12 बजे से ही गंगा के घाटों में स्नान की लहरें उठनी शुरू हो गईं। भास्कर भगवान की किरणों गंगा की लहरों पर पड़नी शुरू हुईं तो श्रद्धा और भी गुनगुनाने लगी। खिली धूप में आनंद व आस्था का खूब संगम हुआ। बड़े तो बड़े, युवा और बच्चों की डुबकी को लेकर आतुरता देखते बन रही थी। यह सिलसिला शाम ढलने तक जारी रहा। आध्यात्मिकता का भाव ऐसा कि हर डुबकी श्रद्धा के साथ कर रही थी आनंद से सराबोर, स्वत: स्पंदन और मन भी प्रफुल्लित। भजन पूजन व दान धर्म की भी बही गंगा

घाटों पर तीर्थ पुरोहित भी आल्हादित थे। जगह कम पड़ रही थी। स्नान के बाद गंगा पूजन, जल से अ‌र्घ्य दिया। जय गंगा मैया के साथ दूध व मिष्ठान का अर्पण। माथे पर चंदन का तिलक लगाया तो झुक कर आशीर्वाद लिया। घाटों पर ही भगवान सत्यनारायण की कथा श्रवण को सजे थे मंडप। शंख की गूंज, घंटे की आवाज और हर अध्याय के समापन बोले सत्यनारायण भगवान की जय। वातावरण धर्म की बजती बंशी में खोया। पहनावन में मनभावन साड़ियों से सुरसरि का रूप तो और भी मुग्धकारी हो रहा। कथा प्रवचन, भजन कीर्तन, यज्ञ हवन। धर्म अध्यात्म के हर सरोकार में खोए श्रद्धालु। तपस्थली में अन्नपूर्णा

कोई घर से पूड़ी पराठा लाया। नहीं लाया तो कोई फिक्र नहीं। यहां अन्नपूर्णा जगह जगह विराजी हें। भंडारों में पंगत चल रही है। संतों के प्रसाद ग्रहण करने के बाद आम और खास सब एक लाइन में पूड़ी, कचौड़ी, सूखी सब्जी, रसीली भी, मिठाई में खीर या हलवा। पूर्णिमा पर हर क्षेत्र में भंडारे चलते रहे। यज्ञ के बाद उपदेश, राष्ट्र रक्षा का संकल्प

वैदिक क्षेत्र में योग शिविर के बाद यज्ञ हुआ। यज्ञ के बाद युवाओं को गौ व गंगा की रक्षा का उपदेश दिया गया। राष्ट्र रक्षा का संकल्प कराया गया। शिविर प्रमुख आचार्य चंद्रदेव शास्त्री ने युवा आचार्यों को विदाई बेला का प्रसाद दिया। संयोजक डा.शिवराम आर्य ने कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया। डा.हरिदत्त द्विवेदी, संदीप कुमार आर्य, प्रदीप आर्य, जयदेव, हरिओम शास्त्री, हरिशंकर, यज्ञदत्त, ओमशरण व सुरेश आर्य आदि भी मौजूद रहे। संस्कारों की भी बजी वंशी

पूर्णिमा स्नान की बेला में भक्ति दान-पुण्य के भावों के बीच संस्कारों की भी बंशी बजती रही। दूर-दूर से श्रद्धालु बच्चों का मुंडन संस्कार कराने पहुंचे। मुंडन के बाद गंगा मैया से मनोकामना की।


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