Farrukhabad News: निजी अस्पताल में गर्भवती महिला की मौत, सूचना न मिलने पर मायके वाले बिफरे, फिर ऐसे हुआ समझौता
पोस्टमार्टम के बाद शव घर आने के बाद मायके से आए लोगों ने हंगामा किया कि उन्हें सूचना नहीं दी। प्रधान व अन्य लोगों के समझाने व वास्तविकता से अवगत कराने पर समझौता हुआ कि शादी में दिया गया सारा दहेज वापस होगा।
फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता। गांव कुबेरपुर निवासी गर्भवती महिला की पहले प्रसव के दौरान मौत हो जाने के बाद पति व स्वजन प्राइवेट अस्पताल के खिलाफ आरोप लगाते हुए हंगामा करते रहे। वहीं पोस्टमार्टम के बाद शव घर आने के बाद मायके से आए लोगों ने हंगामा किया कि उन्हें सूचना नहीं दी। प्रधान व अन्य लोगों के समझाने व वास्तविकता से अवगत कराने पर समझौता हुआ कि शादी में दिया गया सारा दहेज वापस होगा।
अमानक रूप से चल रहे निजी अस्पताल जहां विशेषज्ञ डाक्टरों के बोर्ड तो होते हैं, लेकिन डाक्टर उपलब्ध नहीं होते। ऐसे ही अस्पताल के झांसे में आई गांव कुबेरपुर निवासी हंसराज की गर्भवती पत्नी मोहनी की मौत हो गई। शादी को एक वर्ष भी न बीता था कि पत्नी की मौत से दुखी हंसराज बिलख रहे थे, उसे होश ही न था कि क्या करे क्या न करे। पत्नी और बच्चे की मौत से वह इतना बदहवास था कि उसे यह ख्याल ही न आया कि मायके वालों को सूचना दे।
मायके वाले पहुंचते ही बिफरे
जयपुर में रहने वाले मायके पक्ष के लोगों को किसी अन्य माध्यम से सूचना मिली तो सोमवार सुबह पिता रामसेवक, मां रामदेवी व भाई कर्मवीर, गौरव सहित अनेक स्वजन पहुंचे। आते ही पति व अन्य ससुराली जनों पर बिफर पड़े कि इतने बड़े हादसे की सूचना तुरंत क्यों नहीं दी। इलाज में भी लापरवाही का आरोप लगाया। अंतिम संस्कार को जाने वाले शव को भी रोक दिया। दुखी पति व ससुरालीजन उनके गुस्से को सहते रहे।
प्रधान के हस्तक्षेप से हुआ समझौता
प्रधान इरफान खां व अन्य ग्रामीणों ने मायके वालों को समझाया कि उनकी कोई गलती या लापरवाही नहीं है। पति तो पत्नी व बच्चे के विछोह से खुद ही बहुत दुखी है। पुलिस भी पहुंची व मायके वालों को समझाया। कुछ देर में मायके पक्ष के लोगों का गुस्सा शांत हुआ।
उन्होंने शर्त रखी कि अब जब उनकी बेटी ही नहीं बची है, इसलिए शादी में दिया दहेज का सारा सामान वापस किया जाए। ससुराल वाले इस बात पर राजी हो गए। जिससे मामला रफादफा हुआ।
चिकित्सा के भ्रष्टाचार ने उजाड़ दी हंसराज की दुनिया
पेंटर का काम करने वाले हंसराज जीवन में शादी के बाद खुशियों के रंग भर गए थे। अपनी पत्नी मोहनी के साथ खुशी से रह रहे हंसराज वैवाहिक जीवन में शादी के पहले वर्ष में ही पिता बनने वाला था। दंपति अपने पहले शिशु को देखने को आतुर थे, लेकिन हंसराज को क्या पता था कि शिशु को देखना तो दूर उसकी जीवन संगिनी को भी चिकित्सा का भ्रष्टाचार खा जाएगा।