फर्रुखाबाद में 'सबलाओं' में जागा अब असलहों का क्रेज
तफहीम खान, फर्रुखाबाद अबला से सबला बनने की राह पर चल पड़ी महिलाओं में अब असलहा रखने का
तफहीम खान, फर्रुखाबाद
अबला से सबला बनने की राह पर चल पड़ी महिलाओं में अब असलहा रखने का शौक बढ़ता दिख रहा है। शासन की ओर से शस्त्र लाइसेंस की प्रक्रिया जटिल कर दिए जाने के बावजूद महिला आवेदक हार नहीं मान रही हैं। विरासत के अलावा नए शस्त्र लाइसेंस लेने की इच्छुक महिलाओं की संख्या भी बढ़ी है।
सामान्य शस्त्र लाइसेंस जारी किए जाने की प्रक्रिया पर पिछले माह ही रोक हटी है। इसके बाद से आवेदनों की बाढ़ सी आ गई है। सांसद विधायकों से लेकर मंत्रियों और अधिकारियों तक की सिफारिशें लगवाई जा रही हैं। खास बात ये है कि इस बार महिला आवेदकों की संख्या भी बढ़ी है। आयुध प्रभारी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार जनपद में अब तक 1273 नए शस्त्र लाइसेंस आवेदन आए हैं। इनमें से लगभग 38 आवेदन महिलाओं के हैं, जबकि पूर्व में ये संख्या महज इक्का-दुक्का ही होती थी।
369 महिलाओं के पास हैं लाइसेंस
जिले में कुल 18976 शस्त्र लाइसेंस धारक हैं। इसमें 369 महिलाएं शामिल हैं। यह आंकड़ा भले ही दो फीसद से कम है, लेकिन इस बार आए 38 आवेदन कुल आवेदनों के सापेक्ष तीन फीसद तक हैं।
लंबित हैं इनके लाइसेंस
राष्ट्रीय स्तर की शू¨टग प्रतियोगिताओं में जनपद का नाम रोशन कर चुकी महविश खान ने पिस्टल का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन किया है। वह बताती हैं कि खिलाड़ियों को लाइसेंस देने में प्राथमिकता का शासनादेश है। इसके बावजूद महविश को लाइसेंस नहीं मिल पा रहा है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर सातवीं रैंक धारक जूनियर शू¨टग खिलाड़ी समृद्धि ¨सह का शस्त्र लाइसेंस आवेदन भी लंबित चल रहा है। शस्त्र लाइसेंस की महिला आवेदकों में से अधिकांश वह हैं जो पिता या पति की मृत्यु के बाद वारिस के तौर पर लाइसेंस अपने नाम कराना चाहती हैं। नए आवेदकों में भी महिलाओं की संख्या बढ़ी है।
- आरसी यादव, आयुध प्रभारी डिप्टी कलक्टर।