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अमृतपुर में चूल्हे की चिगारी से आठ झोपड़ियां जलकर खाक

संवाद सहयोगी अमृतपुर चूल्हे पर खाना बनाते समय झोपड़ी में आग गई। आग की तेज लपटों से आठ झोपड़ियों में रखा घरेलू सामान नकदी व जेवर जल गया। आग से दो मवेशी झुलस गए व चार बकरियों की मौत हो गई। ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत कर आग बुझाई। आग बुझ जाने के बाद पहुंची फायर ब्रिगेड रास्ते से वापस लौट गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:05 AM (IST)
अमृतपुर में चूल्हे की चिगारी से आठ झोपड़ियां जलकर खाक
अमृतपुर में चूल्हे की चिगारी से आठ झोपड़ियां जलकर खाक

संवाद सहयोगी, अमृतपुर : चूल्हे पर खाना बनाते समय झोपड़ी में आग गई। इससे आठ झोपड़ियों में रखा घरेलू सामान, नकदी व जेवर जल गया। आग से दो मवेशी झुलस गए व चार बकरियों की मौत हो गई। ग्रामीणों के आग बुझा लेने पर फायर ब्रिगेड रास्ते से लौट गई।

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गांव अहलादपुर भटौली निवासी सुनील कुमार की पुत्री रिकी शुक्रवार सुबह झोपड़ी में चूल्हे पर खाना बना रही थी। तभी चूल्हे की चिंगारी से झोपड़ी में आग लग गई। देखते ही देखते पड़ोसी शिवरतन सिंह, सुधीर, दीपू, अनिल, मनोज, सरोज व दयाराम की झोपड़ियों में आग लग गई। आग की सूचना पर खेत में काम कर रहे ग्रामीणों ने दौड़कर घटनास्थल पर आए और हैंडपंप व पम्पिग सेट (डीजल इंजन) से आग बुझाने का प्रयास किया। एसओ देवेंद्र कुमार गंगवार ने फोर्स के साथ मिलकर मदद की। शिवरतन की दो भैंस झुलसकर घायल हो गईं। सुधीर की चार बकरियों की मौत हो गई। शिवरतन के 15 हजार रुपये व 50 हजार के जेवर, मनोज के 10 हजार, 30 हजार के जेवर, दयाराम के आठ हजार रुपये व घरेलू सामान जल गया। दो घंटे बाद पहुंची फायर ब्रिगेड रास्ते से लौटी

आग लगने पर एसओ ने फायर ब्रिगेड को फोन किया। करीब दो घंटे बाद फायर ब्रिगेड करनपुरदत्त गांव तक ही पहुंच सकीं। आग बुझने की सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड रास्ते से ही लौट गई। बेघर ग्रामीणों की झोपड़ियां जलीं

अहलादपुर भटौली गांव के 19 ग्रामीणों के घर रामगंगा की काटन में बह गए। इस पर सभी कड़क्का तटबंध के किनारे झोपड़ियां डालकर परिवार समेत रह रहे थे। शुक्रवार को इनकी झोपड़ियों में आग लग गई और आठ परिवार फिर से बेघर हो गए। नवजात बच्चे को लेकर भागी महिला

सुनील की पत्नी उर्मिला ने दो दिन पहले एक बच्चे को जन्म दिया है। उर्मिला बच्चे के साथ झोपड़ी में लेटी हुई थी। आग की लपटें देख उर्मिला बच्चे को लेकर झोपड़ी से बाहर भागकर निकल आई, लेकिन आग में घरेलू सामान जल जाने से वह कड़क्का बांध पर बच्चे को गोद में लेकर रोती रही। वह रोकर कह रही थी की पहले नदी ने बेघर कर दिया, अब आग में सब कुछ जला गया। अब रहने व खाने को भी कुछ नहीं बचा है।


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