हिदी की भाषा व परिभाषा में आया बदलाव
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद हिदी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है लेकिन यहां ये बात भी
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हिदी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यहां ये बात भी ध्यान रखने वाली है कि हिदी अब वैसी नहीं रही, जैसी पहले थी। अब हिदी की भाषा, परिभाषा और रूपरेखा में बदलाव आया है। 14 सितंबर को मनाए जाने वाले हिदी दिवस को लेकर यह उद्गार शहर के वरिष्ठजनों ने व्यक्त किए।
अभिव्यंजना संस्था के वरिष्ठ संयोजक डॉ. कृष्णकांत अक्षर ने कहा कि हिदी की लोकप्रियता विश्व में दिनों-दिन बढ़ रही है। हिदी को भले ही अभी तक पूरा राजकीय संरक्षण न मिला पाया हो, लेकिन विश्वस्तर पर हिदी की लोकप्रियता बढ़ रही है। इसका प्रमाण है कि देश के सारे प्रदेशों में तो हिदी बोली या समझी ही जाती है। विदेशों में भी लोगों का रुझान हिदी के प्रति बढ़ रहा है। यहां तक कि विदेशी लोग हिदी सीखने भारत आ रहे हैं। सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. एमएस सिद्दीकी ने कहा कि वर्ष 1950 में भारत गणतंत्र बना और हमारे संविधान में प्राविधान किया गया कि संघ की राजभाषा हिदी और लिपि देवनागरि होगी। हिदी देश की समृद्ध भाषा है। देश की बड़ी आबादी हिदी बोलती है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हिदी जानने व समझने वाले लोग मौजूद हैं। गत दिवस घोषित नई शिक्षा नीति में भी हिदी को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस समय तो हिदी वैश्विक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। विश्व के अनेक देशों में हिदी स्वीकार्य भाषा बन गई है। रिटायर्ड प्रो. डॉ. गुलाब सिंह बघेल ने कहा कि हिदी दुनिया के 30 से अधिक देशों में पढ़ी और पढ़ाई जाती है। हिदी भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में विख्यात है। हिदी की प्रसिद्धी को बढ़ाने के लिए यकीनन तकनीक ने हमारा साथ दिया है। आज स्मार्टफोन के चलते जीवन में हिदी टाइपिग आसान हो गई है। आज से रेलवे का राजभाषा सप्ताह
रेलवे की ओर से राजभाषा सप्ताह का शुभारंभ सोमवार को डीआरएम दिनेश कुमार सिंह करेंगे। 18 सितंबर तक चलने वाले राजभाषा सप्ताह समारोह में विभिन्न आयोजन किए जाएंगे।