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आरोपी को ही सौंप दी घोटाले की जांच में कार्रवाई

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शासन की ओर से शिकायत के मामले में जांच किसी भी स्थिति में आर

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Mar 2018 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 21 Mar 2018 07:05 PM (IST)
आरोपी को ही सौंप दी घोटाले की जांच में कार्रवाई

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शासन की ओर से शिकायत के मामले में जांच किसी भी स्थिति में आरोपित अधिकारी को न दिए जाने व कम से कम एक स्तर ऊपर के अधिकारी से जांच कराए जाने के स्पष्ट निर्देश हैं। इसके बावजूद प्रशासनिक तंत्र अभी आरोपी को ही शिकायत सौंप देने की अपनी पुरानी परिपाटी से बाहर आता नहीं दिख रहा है। कम से कम यहां लोहिया जिला अस्पताल में लोकल पर्चेज (स्थानीय खरीद) के नाम पर हुए लाखों रुपये के घोटाले में तो यही हो गया है। आइजीआरएस पोर्टल पर की गई शिकायत को आरोपी सीएमएस को ही 'नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई' के निर्देश के साथ भेज दिया गया है।

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मरीजों के बेहतर इलाज के लिए शासन की ओर से यह व्यवस्था की गई है कि सरकारी अस्पताल में यदि कोई आवश्यक दवा मौजूद नहीं है तो उसे स्थानीय स्तर पर खरीद कर मरीज को उपलब्ध करा दिया जाए। लोहिया अस्पताल में दवाओं की लोकल पर्चेज के नाम पर काफी दिनों से खेल चल रहा है। आम आदमी तो दूर प्रशासनिक व न्यायिक अधिकारियों तक के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया है। हद तो यह है कि लोकल पर्चेज के नाम पर वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक कीमत पर महंगी दवाएं खरीदी गईं। पोर्टल पर शिकायती पत्र के अंतरण चार्ज के अनुसार विगत तीन मार्च को अपलोड की गई शिकायत को चार मार्च को चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया गया। उन्होंने इसे अगले ही दिन महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को भेज दिया। उसके अगले दिन निदेशक ने शिकायती पत्र को अपर निदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानुपर मंडल को अग्रसारित कर दिया। इसके अगले ही दिन एडी ने भी शिकायत को संबंधित सीएमएस को 'नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई' के निर्देश के साथ भेज दिया। जाहिर है कि सीएमएस के पास यह शिकायत विगत दो सप्ताह से लंबित है। जबकि मुख्य सचिव की ओर से आठ फरवरी को जारी शासनादेश संख्या 1/2018/117 /पैंतीस-2-2018-3/39(4)/18 में स्पष्ट निर्देश हैं कि 'यदि शिकायत कसी अधिकारी/कर्मचारी विशेष की कार्यप्रणाली से संबंधित है, तो उसकी जांच एवं निस्तारण संबंधित अधिकारी/ कर्मचारी से कम से कम एक स्तर ऊपर के अधिकारी से ही कराई जाए। किसी भी दशा में शिकायत निस्तारण हेतु संबंधित अधिकारी/कर्मचारी को प्रेषित न की जाए।'

अपर निदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानुपर मंडल ओपी विश्वकर्मा से जब इस संबंध में संपर्क किया गया तो उन्होने कहा कि हो सकता है कि कार्य की अधिकता के दबाव में ऐसा हो गया हो। यदि ऐसा हुआ है तो जांच किसी अन्य अधिकारी को दे दी जाएगी। जबकि सीएमएस डा. बीबी पुष्कर बताते हैं कि उनको शिकायती पत्र की जानकारी नहीं है। यदि उन्हें पत्र मिलेगा तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।


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