चोरी छिपे नालियों में बहाया जाता बैटरियों से निकलने वाला तेजाब
सड़क पर ई-रिक्शा का इस कदर दबाव बढ़ गया है कि बिना प्रशिक्षण के अनाड़ी इसे चला रहे हैं।
चोरी छिपे नालियों में बहाया जाता बैटरियों से निकलने वाला तेजाब
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सड़क पर ई-रिक्शा का इस कदर दबाव बढ़ गया है कि बिना प्रशिक्षण के अनाड़ी इसे चला रहे हैं। इससे जहां बैटरी की खपत बढ़ी है वहीं बैटरियों का तेजाब नालियों में बहाया जा रहा है। निष्प्रयोज्य बैट्रियों के खोल व सेल भी अकार्बनिक कचरा बढ़ाते हैं।
बाजार में ई-रिक्शा की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। 80 प्रतिशत ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। गली-मोहल्लों में ई-रिक्शा की कंपनियां खुल गईं। दिल्ली से पुर्जे लाकर अवैध रूप से ई-रिक्शा तैयार किए जा रहे हैं। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी भी खामोश हैं। अधिकांश किशोर ही ई-रिक्शा चलाते दिखाई देते हैं। जिससे दुर्घटना के खतरे भी रहते हैं। रजिस्ट्रेशन न होने के कारण दुर्घटना होने पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती। ई-रिक्शा बेचने वाली एजेंसियों पर भी सख्ती नहीं हो पा रही है।
ई-रिक्शा के चलते बैटरी की खपत बढ़ गई है। निष्प्रयोज्य बैटरियों से निकलने वाला कबाड़ियाें द्वारा नालियों में बहा दिया जाता है। प्रमुख मार्गों, बाजार व गली-मोहल्लों में भी ई-रिक्शा के चलते जाम लगता है। सरिया, सीमेंट, खाद के अलावा किराना व अन्य सामान भी ई-रिक्शा से ही ढोया जा रहा है। कुछ ने ई-रिक्शा का स्वरूप बदल कर लोडर बना दिया। कुछ ने इस पर चलती-फिरती सब्जी की दुकान बना ली। पुलिस व यातायात विभाग के कर्मचारी भी ई-रिक्शा को नजरंदाज कर रहे हैं।
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यह बात सही है कि शहर में ई-रिक्शा की संख्या अधिक है। नियमानुसार इन पर कार्रवाई की जाएगी। ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों से भी बात करेंगे। -रजनेश यादव, यातायात प्रभारी