रोज जीवनदायिनी के 'प्राण' ले रहा नाले का 93 लाख लीटर पानी
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : केंद्र व राज्य सरकार भले ही गंगा स्वच्छता के नाम पर अरबों रुपय
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : केंद्र व राज्य सरकार भले ही गंगा स्वच्छता के नाम पर अरबों रुपये का बजट खर्च कर रहीं हों, लेकिन यहां तो प्रतिदिन फतेहगढ़ शहर के नाले का 93 लाख लीटर पानी जीवनदायिनी के 'प्राण' ले रहा है। हालांकि यहां 2.7 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा है, लेकिन नाले से प्रतिदिन 12 एमएलडी से अधिक पानी का डिस्चार्ज है। इस स्थिति में तकरीबन 9.3 एमएलडी पानी बिना शोधित हुए सीधे ही गंगा में गिर रहा है।
फतेहगढ़ शहर का हाथीखाना नाला डीएम आवास के पीछे सिविल लाइन से होकर गंगा में जाता है। गंगा कार्य योजना के तहत 27 जून 1992 में इस पर 2.7 एलएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था। उस समय नाले से डिस्चार्ज होने वाले पानी की मात्रा कम थी। आबादी क्षेत्र बढ़ने के कारण वर्तमान में नाले से प्रतिदिन 12 एमएलडी से अधिक पानी का डिस्चार्ज हो रहा है। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता कम होने के कारण नाले का पानी सीधा गंगा में ही जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ट्रीटमेंट प्लांट 24 घंटे की बजाय बमुश्किल 12 घंटे ही चल पाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में प्लांट नहीं चलता।
प्लांट ऑपरेटर ¨रकू ने बताया कि प्लांट की क्षमता के सापेक्ष पानी का डिस्चार्ज अधिक होने से नाले का पानी गंगा में जा रहा है। जेई डीसी दीक्षित ने बताया कि प्लांट की क्षमता बढ़ाने के लिए पत्रावली भेजी गई है। शीघ्र ही 7.7 एमएलडी क्षमता का प्लांट लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि नाले के पानी के वैक्टीरिया मारने के लिए वायोरेमीडिएशन केमिकल डाला जा रहा है। इससे पानी साफ होकर गंगा में जा रहा है।