लॉकडाउन में 26 लोगों ने लगाया मौत को गले
कोरोना वायरस से निटपने के लिए किए गए लॉकडाउन में जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में 26 लोगों ने मौत को गले लगाया। अगर जनवरी से अब तक की बात करें तो 55 लोग अपनी जान गवा चुके हैं। भाई से झगड़े हों या फिर घरेलू विवाद बीमारी से तंग आकर भी लोग खुदकशी कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : लॉकडाउन में सड़कों पर भले ही सन्नाटा दिखाई देता रहा हो, लेकिन घरों में हलचल तेज थी। इस दौरान गृहकलह बढ़ी तो मानसिक अवसाद भी बढ़ा। यही कारण रहा कि कई लोगों ने आत्महत्या कर ली। आंकड़े देखे जाएं तो जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लॉकडाउन के दौरान करीब दो महीने में 26 लोगों ने मौत को गले लगाया। जनवरी 2020 से अब तक 55 लोगों ने अपनी जान दे दी। इन घटनाओं के पीछे पारिवारिक कलह के कारण उपजे मानसिक अवसाद ही सामने आया।
भले ही खुदकुशी मनचाही मौत हो, लेकिन आंखों के सामने मौत का भयावह ²श्य नजर आने लगता है, लेकिन अवसाद से घिरे व्यक्ति में हंसते खेलते जीवन को समाप्त करने की हिम्मत जरूर आ जाती है। शायद यही हुआ। लॉकडाउन में जहां लोग अपने घरों में थे तो कलह बढ़ रही थी। स्थिति यहां तक बिगड़ी कि 26 लोगों ने अपनी जीवनलीला समाप्त करने की ठान ली। इसमें इसमें महिलाएं और युवतियों की संख्या अधिक है। सर्वाधिक खुदकशी की घटनाएं शहर कोतवाली क्षेत्र में हुईं। यहां पर दस लोगों ने जान दे दी। कमालगंज थाना क्षेत्र में सात लोगों ने जिदगी समाप्त कर ली। मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक का मानना है कि खुदकशी वह लोग करते हैं जो दिमागी रूप से कमजोर होते हैं। उनमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है। नौकरी या व्यापार में सफलता न मिलने, इच्छाएं पूरी न होने, पारिवारिक विवाद, तनाव में रहने से खुदकशी की घटनाएं बढ़ती हैं। इन थाना क्षेत्रों में हुईं घटनाएं
कोतवाली/ थाना - संख्या
फर्रुखाबाद -10
फतेहगढ़ -05
मऊदरवाजा-06
राजेपुर -01
मोहम्मदाबाद-04
कायमगंज- 04
कमालगंज-07
शमसाबाद-04
नवाबगंज- 08
जहानगंज-05
अमृतपुर-01 दिमागी की हालत ठीक न होना और तनाव में आकर लोग खुदकशी कर लेते हैं। स्वजनों को ऐसे लोगों नजर रखें। उन्हें अकेला न छोड़ें। अगर कोई व्यक्ति दिमागी रूप से बीमार है तो उसका मानसिक रोग विशेषज्ञ से इलाज कराएं। तभी खुदकशी की घटनाएं कम हो सकती हैं।
- डॉ. प्रमोद कुमार मांगलिक, मानसिक रोग विशेषज्ञ।