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निर्मोही अखाड़ा की आपत्ति को विहिप और बाबरी मस्जिद के पक्षकार ने गलत ठहराया

मो. इकबाल ने कहा कुछ लोग राष्ट्र के इस गंभीर विषय को उलझाए रखना चाहते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 08:58 AM (IST)
निर्मोही अखाड़ा की आपत्ति को विहिप और बाबरी मस्जिद के पक्षकार ने गलत ठहराया

अयोध्या, जेएनएन। सुप्रीमकोर्ट में अधिग्रहीत परिसर की गैर विवादित भूमि वापस करने की केंद्र सरकार की याचिका के विरुद्ध निर्मोही अखाड़ा की ओर से दाखिल आपत्ति मंदिर-मस्जिद विवाद के प्याले में तूफान पैदा करने वाली है। बाबरी मस्जिद के पक्षकार मो. इकबाल ने अखाड़ा की आपत्ति को रोड़ा अटकाने वाला बताया तथा कहा, 1993 में अधिग्रहण के साथ ही सरकार संबंधित पक्षों को मुआवजा दे चुकी है, ऐसे में जहां सरकार का अधिग्रहीत भूमि वापस मांगना समझ में आता है, वहीं निर्मोही अखाड़ा का रुख हैरान करने वाला है।

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विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हो इसके लिए लोगों ने प्राणों की आहुति दी है और विहिप इस बलिदान को जाया नहीं जाने देगी। कुछ लोग राष्ट्र के इस गंभीर विषय को उलझाए रखना चाहते हैं। शर्मा ने याद दिलाया कि रामजन्मभूमि न्यास को छोड़कर अधिग्रहण के बाद के 28 वर्षों में किसी ने भूमि वापसी का मुद्दा नहीं उठाया और आज जब केंद्र की याचिका समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है, तो उस पर आपत्ति करना संदेह पैदा करने वाला है।

गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत स‍िंंह ने कहा, सभी को न्याय पाने का हक है पर मंदिर-मस्जिद विवाद को व्यापक संदर्भों में देखा जाना चाहिए और ऐसे किसी भी काम से बचना होगा, जो विवाद के समाधान की संभावनाओं को बाधित करे। 

अखाड़ा की आपत्ति न्यायसंगत

निर्मोही अखाड़ा के अधिवक्ता तरुणजीत वर्मा ने दोहराया कि निर्मोही अखाड़ा की आपत्ति न्याय की बुनियादी मान्यताओं के अनुरूप है और अधिग्रहण में अखाड़ा की पौने तीन एकड़ भूमि अधिग्रहीत की गई थी। इसके एवज में अखाड़ा को कोई मुआवजा भी नहीं मिला है, ऐसे में अखाड़ा अपनी भूमि वापस पाने का स्वाभाविक हकदार है।


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