शाम ढलते ही चाक होने लगता है कछार का सीना
फैजाबाद : अवैध बालू खनन पर रोक लगाने की बात अब शायद प्रशासन के हाथ से निकल चुकी है। जब वारदात गंभीर हुई तो प्रशासन ने सख्ती की। इस खानापूर्ति का फर्क सिर्फ इतना पड़ा है कि खनन अब दिन के उजाले में कम और सूर्यास्त के बाद ज्यादा होने लगा है। शाम ढलते ही कछार का सीना चीर कर बालू का अवैध खनन शुरू हो जाता है। अपने फायदे में खनन माफिया ये भी भूल जाते हैं कि उनके वाहनों के नीचे रौंद कर किसानों की फसल तक नष्ट हो जा रही है। कैंट क्षेत्र में सोमवार को जहां अवैध खनन पकड़ा गया उस मांझा इलाके के खेत में लहलहाती फसल नहीं बल्कि ट्रालियों और जेसीबी के मोटे पहियों के निशान दिखाई पड़ते हैं। खनन करने वालों की दबंगई के आगे कमजोर किसान भी उनका विरोध नहीं कर पाते हैं।
अवैध बालू खनन से न सिर्फ करोड़ों की लागत से बना बंधा नष्ट हो रहा है बल्कि खेतों को भी नुकसान पहुंच रहा है। अवैध खनन से प्रशासन को क्षति पहुंचा रहे खनन माफिया दूसरी ओर किसानों की कमर भी तोड़ने का काम कर रहे हैं। सोमवार को बालू खनन रोकने गए दारोगा पर ट्राली चढ़ाने की वारदात में घटनास्थल पर मौजूद एक वृद्ध ने बताया कि खनन करने वालों ने पूरे इलाके को चाल डाला है। कई किसानों की फसल भी ट्राली और जेसीबी के आवागमन से नष्ट हो गई। बंधे पर अपनी सुविधा के लिए जगह-जगह कट लगाकर अवैध रास्ता बना लिया गया है। शाम ढलने के बाद जहां बीहड़ मांझा इलाके में जाने से भी डर लगे उस स्थान पर खनन माफिया के गुर्गे निडर होकर जेसीबी चलवाते हैं। ये डरें भी क्यों, जब पुलिस और प्रशासन में इनके मददगार मौजूद हैं। कैंट थाना परिसर में सोमवार को जो नजारा देखने को मिला वह भी बेमिसाल था। मामला 'मैनेज' करने के लिए मौजूद लोग जांच करने पहुंचे लग्जरी वाहन सवार एक खनन अधिकारी का पैर छूकर इस्तकबाल करते नजर आए। कैंट इलाके में अवैध खनन करने वालों से संबंधित रिपोर्ट पुलिस ने 20 दिन पहले जिला प्रशासन को सौंपी थी। यह रिपोर्ट दारोगा केएन तिवारी ने तैयार की थी। माना जा रहा है तभी से तिवारी खनन माफिया के निशाने पर हैं। इस रिपोर्ट पर अपेक्षित कार्रवाई न हो पाने का परिणाम दारोगा को कुचलने के प्रयास के रूप में देखने को मिला। खैर एक बार फिर गेंद प्रशासन और पुलिस के पाले में है।
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