तीन कर्मचारी भी वेतन घोटाले के घेरे में
फैजाबाद : नलकूप खंड के वेतन घोटाले में आरोपित वेतन लिपिक अर¨वद कुमार के अलावा चपरासी अ
फैजाबाद : नलकूप खंड के वेतन घोटाले में आरोपित वेतन लिपिक अर¨वद कुमार के अलावा चपरासी अजय कुमार, चौकीदार सियाराम व प्रशिक्षु सुधीर कुमार भी जांच के दायरे में आ गए। इन तीनों के बैँक खाते में वेतन लिपिक ने दूसरे कर्मचारियों की धनराशि को स्थानांतरित किया है। दो सदस्यीय जांच में खुलासा होने से इन तीनों के खिलाफ भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। अधीक्षण अभियंता नलकूप महेश कुमार पांडेय ने अधिशासी अभियंता नलकूप नागेंद्रकुमार गौतम से बैंक में जमा करायी गई धनराशि की पुष्टि व धनराशि जमा कराने के लिए किस अधिकारी ने अधिकृत किया है, संबंधित अभिलेख समेत तीनों कर्मचारियों का स्पष्टीकरण 25 अप्रैल तक मांगा है।
दो सदस्यीय जांच रिपोर्ट सौपने के बाद अधीक्षण अभियंता ने वेतन लिपिक के खिलाफ सात ¨बदु का आरोपपत्र गठित कर नलकूप खंड सुलतानपुर के अधिशासी अभियंता को जांच अधिकारी नामित किया है। एक माह में उन्हें जांच रिपोर्ट सौंपना है। दो सदस्यीय प्रारंभिक जांच अधिशासी अभियंता लिफ्ट ¨सचाई दशरथ ¨सह व अधिशासी अभियंता नलकूप गौतम ने की है। अधीक्षण अभियंता तरफ से आरोपपत्र गठित किए जाने से नलकूप विभाग में नए सिरे से वेतन बिल घोटाले की हलचल तेज हो गई है। वेतन बिल घोटाले का खुलासा होने के बाद से अर¨वदकुमार निलंबित चल रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारी का निकालते रहे वेतन
-नलकूप चालक रामप्रसाद 31 जनवरी 2017 को सेवानिवृत्त हो गया। सेवानिवृत्त के चार माह बाद तक फरवरी, मार्च, अप्रैल व मई माह तक का वेतन बिल बनाकर आहरित कर दूसरे कर्मचारियों के बैंक एकाउंट में स्थानांतरित किया गया। रामप्रसाद का फरवरी का वेतन 33 हजार 946 रुपये उपखंड प्रथम नलकूप के चपरासी के बैँक एकाउंट में स्थानांतरित किया। इसी तरह 33 हजार 946 रुपये के हिसाब से मार्च, अप्रैल व मई का वेतन आइटीआइ प्रशिक्षु के खाते में ट्रांसफर किया गया। नौ जनवरी 2017 को नलकूप चालक विजयबहादुर ¨सह का निधन हो गया। उनका एक माह का वेतन अर¨वदकुमार ने अपने बैंक एकाउंट में स्थानांतरित कर लिया। स्थानांतरित धनराशि 56 हजार 457 रुपये है, जो वेतन से 29 हजार 746 रुपये अधिक है। वेतन बीजक भी गायब
-निलंबित कर्मचारी पर कार्रवाई से बचने के लिए वेतन बीजक का पेज (बीजक कट फाइल) भी गायब करने का भी आरोप है। यह पत्रावलियों में नहीं मिला। वर्ष दिसंबर 2012 से 18 मार्च 2016 तक की जांच निलंबित लिपिक के बैंक एकाउंट की हुई। जांच शुरू होने के बाद घोटाले की धनराशि भी स्टेट बैंक में चालान से जमा करा दी गई। अधीक्षण अभियंता ने इन तीनों कर्मचारियों का भी स्पष्टीकरण मांग लिया है, जिससे कार्रवाई के बाद अदालत से बचाव न किया जा सके।