अयोध्या में रामजन्म पर 'उद्घोषवृंद' तो राज्याभिषेक पर बजेगा 'मसकबाजा'
अयोध्या में यूं तो आपने कई बार रामलीला देखी होगी, लेकिन इस बार दीपोत्सव पर रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर निकलने वाली झांकियों की बात कुछ और होगी।
अयोध्या [नवनीत श्रीवास्तव]। भगवान राम की नगरी अयोध्या में यूं तो आपने कई बार रामलीला देखी होगी, लेकिन इस बार दीपोत्सव पर रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर निकलने वाली झांकियों की बात कुछ और होगी।
साकेत महाविद्यालय से रामकथा पार्क तक निकलने वाली झांकियां रामकथा कहेंगी तो इन्हीं के साथ लोककलाकार गरिमामयी विरासत का गौरवगान करते चलेंगे। दीपोत्सव पर निकलने वाली झांकियों के साथ ही लोककलाकारों की प्रस्तुतियों का क्रम भी तय कर दिया गया है। झांकियों में तीन महाद्वीपों के अलग-अलग देशों की सांस्कृतिक विरासत के साक्षात्कार का अवसर मिलेगा। विदेश और देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले लोककलाकारों का दल प्रसंग के अनुसार अपनी प्रस्तुतियां देगा।
झांकियों में सबसे आगे साउथ ईस्ट एशियाई देश लाओस, यूरोप से रूस, फिर कैरेबियन कंट्री ट्रिनिडाड और चौथा कोरियाई कलाकारों का दल होगा। कुल 19 झांकियां निकाली जाएंगी। रामजन्म के प्रसंग पर इलाहाबाद का उद्घोष वृंद रहेगा तो रामवनगमन पर धोबिया लोकनृत्य। केवट प्रसंग पर फरवाही की प्रस्तुति होगी, जबकि रामविवाह पर 'मसक' बाजा बजाया जाएगा। धनुष भंग पर राई लोकनृत्य, अशोक वाटिका पर फरवाही, ताड़का वध पर बहरुपिया, सीताहरण प्रसंग पर धोबिया व राम-रावण युद्ध पर डफला लोकनृत्य होगा। सबसे अंत में रामराज्याभिषेक के प्रसंग का मंचन होगा तो मसक बाजा राम के राजा होने का जयघोष करेगा।
छाऊ, कलावेदी और घूमर भी
दीपोत्सव पर निकलने वाली झांकियों के साथ देश के अलग-अलग राज्यों के लोकनृत्यों की प्रस्तुति होगी। सबसे आगे झारखंड के प्रसिद्ध छाऊ लोकनृत्य के कलाकारों का दल रहेगा तो सबसे अंत में पाल लोकनृत्य की प्रस्तुति होगी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पंथी लोकनृत्य, केरला के कलावेदी, अवध के फरुवाही, आजमगढ़ के धोबिया, झांसी के राई, बांदा के पाई-डंडा लोकनृत्य की प्रस्तुति दीपोत्सव पर निकलने वाली झांकियों को यादगार बनाएगी। दीपोत्सव में उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद के चार दल रहेंगे। इसमें सबसे खास हरियाणवी नगाड़ा भगवान की वनवास से वापसी का घोष करेगा तो दूसरी ओर राजस्थान का प्रसिद्ध घूमर नृत्य उत्सव, उल्लास और उत्साह की अनुभूति कराएगा। अयोध्या शोध संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी रामतीर्थ के मुताबिक यह मौका लोक कलाओं को जानने का अवसर भी होगा।
क्रम निर्धारित किया गया
निदेशक अयोध्या शोध संस्थान डॉ. वाइपी सिंह ने बताया कि झांकियों के साथ लोककलाकारों के दल की प्रस्तुति का क्रम निर्धारित कर दिया गया है। हमारी कोशिश है कि दीपोत्सव पर निकलने वाली झांकियों में लोगों को देश भर की लोकविधाओं से रूबरू होने का मौका मिले।