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रामनगरी में बनेगा विघ्न विनाशक का मंदिर

राम मंदिर के साथ राष्ट्र मंदिर का स्वप्न फलीभूत होने पर अर्पित होगी कृतज्ञता. अति मंगलकारी हरिद्रा गणेश के स्वरूप में विराजमान होंगे विघ्न विनाशक.

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 07:18 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 07:18 PM (IST)
रामनगरी में बनेगा विघ्न विनाशक का मंदिर
रामनगरी में बनेगा विघ्न विनाशक का मंदिर

अयोध्या : रामनगरी में विघ्न विनाशक गणपति गणेश के अनेक मंदिर हैं, पर अब वे अपनी महत्ता के अनुरूप पूरी भव्यता-दिव्यता से विराजमान होंगे। यह पहल रामादल के अध्यक्ष पं. कल्किराम की है। विघ्न विनाशक के भक्त पं. कल्किराम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2014 की मकर संक्रांति से ही अनुष्ठानरत हैं। मोदी प्रधानमंत्री बने और अपेक्षा के अनुरूप देश की प्रतिष्ठा में वृद्धि कर रहे हैं। राम मंदिर का निर्णय भी पं. कल्किराम के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने प्रधानमंत्री एवं राष्ट्र मंगल के लिए चल रहे अनुष्ठान में रामलला के पक्ष में निर्णय आने की प्रार्थना भी अर्पित की। आज जब राम मंदिर निर्माण की तैयारी आगे बढ़ रही है और प्रधानमंत्री दूसरा कार्यकाल आगे बढ़ाने के साथ अपनी छाप अमिट बनाते जा रहे हैं, कोरोना संकट से भी मुक्ति मिलने को है, तब इस परि²श्य से अभिभूत पं. कल्किराम विघ्न विनाशक के प्रति कृतज्ञता अर्पित करना चाह रहे हैं। कहते हैं, विघ्न विनाशक की कृपा से मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र मंदिर के साथ राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, तो भव्य मंदिर के रूप में विघ्न विनाशक की उपस्थिति अनिवार्य हो गयी है और उनकी कृपा से उत्कृष्ट राष्ट्र मंदिर, भव्य राम मंदिर और दिव्य अयोध्या का अभियान निरापद आगे बढ़ता रहेगा। इसी भावना के तहत रामादल ने रामनगरी के ईशान कोण पर बाईपास मार्ग के करीब विघ्न विनाशक मंदिर के लिए भूमि का चयन कर लिया है। यह पहला मंदिर होगा, जहां पत्नी ऋद्धि सिद्धि और दोनों पुत्र क्षेमा और लाभ के साथ गणेश जी विराजमान होंगे। यहां गणेश जी अपने प्रिय हरिद्रा स्वरूप में होंगे। पीत वर्ण से आच्छादित हरिद्रा मुद्रा के गणेश को अति मंगलकारी माना जाता है। गणेश कुंड के भी आएंगे अच्छे दिन

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- रामनगरी के प्रमुख पौराणिक स्थल मणिपर्वत के समीप स्थित गणेशकुंड के भी अच्छे दिन आएंगे। सरकार ने जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के लिए जिन कुंडों का चयन किया है, उनमें युगों से उपेक्षित गणेश कुंड भी शामिल है। कुंड करीब बीघा भर में फैले गड्ढे के रूप में रह गया है। एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा ने 1902 में रामनगरी की 84 कोस की परिधि में जिन पौराणिक स्थलों को चिह्नित किया था, उनमें गणेश कुंड भी था। यह सच्चाई कुंड के किनारे लगे शिलापट से होती है। अयोध्या का इतिहास विवेचित करते प्राचीन ग्रंथ रुद्रयामल एवं स्कंदपुराण में भी मणिपर्वत के दक्षिण गणेशकुंड का उल्लेख मिलता है।

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31 मार्च को होगा भूमिपूजन

- पं. कल्किराम के अनुसार इसी वर्ष 31 मार्च को गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त में भूमिपूजन के साथ निर्माण की शुरुआत होगी और निर्माण कार्य 2024 की विजय दशमी तक पूरा करने का लक्ष्य है। 51 फीट ऊंचा और तीन शिखर युक्त मंदिर का मॉडल भी तैयार कर लिया गया है।


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