सात समंदर पार के पक्षियों का आशियाना बनी सरयू की कछार
अयोध्या : सात समुंदर पार से पहुंचे दुनिया के सबसे खूबसूरत पक्षियों में शुमार सुर्खाब को सरयू
अयोध्या : सात समुंदर पार से पहुंचे दुनिया के सबसे खूबसूरत पक्षियों में शुमार सुर्खाब को सरयू की तराई बेहद पसंद आई है। इन दिनों सरयू की कछार में सुर्खाब को देखा जा सकता है। इसके साथ कई अन्य विदेशी पक्षी भी सरयू किनारे पहुंचे हैं। साइबेरिया, यूरेशिया व हिमालय के बेहद ठंडे इलाकों से आने वाले पक्षी गुप्तारघाट से पश्चिम दिशा में दो किलोमीटर बाद आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके अलावा कछार वाले शांत क्षेत्रों में भी इन प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। अक्टूबर-नवंबर माह में आने वाले प्रवासी पक्षी ठंड कम होने पर वापस अपने देशों को लौटने लगते हैं। सरयू के शांत इलाकों में इन पक्षियों को अठखेलियां करते हुए देखा जा सकता है। इन पक्षियों को वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर आजाद ¨सह ने अपने कैमरे में कैद किया है।
प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. रविकुमार ¨सह ने बताया कि इस बार भी सुर्खाब समेत कई अन्य विदेशी पक्षियों के आगमन हुआ है। प्रवासकाल में इनका ठिकाना सरयू के शांत इलाके बने हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर आजाद ¨सह बताते हैं कि प्रवासी पक्षी सरयू की कछार वाले इलाकों में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि गुप्तारघाट से पश्चिम दिशा की ओर कछार में इन्हें देखा जा सकता है।
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खासियत भी अलग-अलग
-प्रवासी पक्षियों की खासियत अलग-अलग है। अपने खूबसूरत परों के लिए मशहूर सुर्खाब दिन में तो जोड़े में रहते हैं, लेकिन रात में अलग होकर एक-दूसरे के वियोग में चिल्लाते हैं। इसी तरह स्नेक बर्ड की खासियत उसका शिकार करने का अनोखा अंदाज है। स्नेक बर्ड मछली का शिकार करता है। इसका शिकार करने का ढंग बेहद अनोखा है। ये अपनी नुकीली चोंच से मछली को बेधता है और फिर उछाल कर उसे निगल जाता है।
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इन पक्षियों को पसंद है तराई
-यहां सुर्खाब, हिमालयन ज्रिफान वल्चर और शाही गरुड़ के साथ ही कई अन्य दुर्लभ प्रजाति के पक्षी भी सरयू के किनारों पर देखे गए, इनमें सिट्रीन वेगटेल (खंजन), ब्लैक ¨वक स्टिल्ट, ब्लू टेल्ड बी ईस्ट, यूरोपियन स्टर्लिंग, पीएड क्रेस्टेड कुक्कू (चातक), ब्लैक रेड स्टार्ट, पेंटेड स्टॉर्क आदि पक्षी हैं। सर्दियों में जब तापमान बेहद कम हो जाता है, तब ये पक्षी अपने मूल स्थान को छोड़कर सरयू के किनारे प्रवास करने के लिए आते हैं। इनमें से कुछ पक्षियों का प्रवास काल तो छह माह तक का होता है। अधिकांश पक्षियों का प्रवास काल सितंबर-अक्टूबर में आरंभ होता है और गर्मियों की शुरुआत होते ही ये दोबारा अपने मूल स्थान की ओर लौट जाते हैं।