Shri Ram Janmabhoomi: 'अयोध्या रिविजिटेड' का होगा हिंदी में अनुवाद
Shri Ram Janmabhoomi राममंदिर के इतिहास की प्रतिनिधि कृति मानी जाती है पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल यह पुस्तक।
अयोध्या [रघुवरशरण]। Shri Ram Janmabhoomi: रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ लोगों को इसके अतीत से अवगत कराने की तैयारी चल रही है। गत करीब एक दशक के श्रम-शोध से पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने अंग्रेजी में दो प्रतिनिधि कृतियां लिखी हैं। यह हैं, 'अयोध्या रिविजिटेड' एवं 'अयोध्या : बियांड एड्यूस्ड एविडेंस'। 824 पेज की अयोध्या रिविजिटेड के हिंदी में अनुवाद की तैयारी चल रही है। समझा जाता है कि इस विशद् ग्रंथ का अनुवाद छह माह में प्रकाशित हो जाएगा।
रामजन्मभूमि को केंद्र में रखकर प्राचीन-पुरातन काल से ही अयोध्या का ऐतिहासिक महत्व है। अनेक तथ्यों के आधार पर यह साबित किया गया है कि रामजन्मभूमि पर बना मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी गई थी। 2016 में प्रकाशित इस पुस्तक की भूमिका देश के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जीडी पटनायक ने लिखी थी। भूमिका में उन्होंने कहा, लेखक ने सिद्ध कर दिया है कि जहां मस्जिद है, वहां रामजन्मभूमि है और उस पर बने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। कुणाल कहते हैं कि जिस मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया था, वह 2077 वर्ष पूर्व विक्रमी संवत का प्रवर्तन करने वाले विक्रमादित्य के समय का था और 1130 में गहड़वाल राजा गोविंदचंद्र के गवर्नर अनयचंद्र ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। पुस्तक में रामजन्मभूमि के सतत अस्तित्व का विवेचन होने के साथ मंदिर ढहाए जाने के बाद मस्जिद के वजूद और उसे हटाए जाने के संघर्ष का ब्योरा भी तिथि के अनुक्रम में प्रस्तुत है। रामजन्मभूमि को ही ध्यान में रखकर 2018 में प्रकाशित 'अयोध्या : बियांड एड्यूस्ड एविडेंस' में भी इतिहास की विस्तृत यात्रा का विवेचन है। कुणाल कहते हैं, इस कृति में मैंने एक इतिहासकार के तौर पर माक्र्सवादी इतिहासकारों का भ्रम दूर करने का प्रयास किया है और इसमें त्रेतायुग के अंत में वाल्मीकि रामायण की रचना से लेकर विवाद के समाधान से पूर्व तक का इतिहास और साक्ष्य खंगाला गया है। कुणाल की इस कृति की भूमिका भी एक और पूर्व न्यायाधीश एनएन वेंकटचलैया ने लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि यह पुस्तक रामजन्मभूमि का जो विवाद चल रहा है, उसे अधिक स्पष्टता और भावनात्मक उत्तेजना के बिना समझाने में सहायक है। कुणाल के अनुसार पहली पुस्तक का अनुवाद पूरा होते ही दूसरी पुस्तक का अनुवाद शुरू होगा।
गहन है राममंदिर से कुणाल का वास्ता
राममंदिर से किशोर कुणाल का गहन वास्ता है। 1991 में वे प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध थे और प्रधानमंत्री के ही स्तर से मसले के हल की कोशिशों में वह प्रमुख सहायक थे। बातचीत से बात तो नहीं बनी, पर कुणाल के दिलचस्पी राम मंदिर के प्रति बढ़ती गई। करीब दो दशक पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर रामनगरी की ओर उन्मुख हुए कुणाल ने यहीं रहते हुए कुछ कविताएं और किताबें भी लिखीं। उनकी आध्यात्मिक और समाजसेवा से जुड़ी पहल का केंद्र तो पटना का सुप्रसिद्ध हनुमान मंदिर सेवा ट्रस्ट है, पर राम मंदिर से लगा अमावा राम मंदिर भी उनकी रचनात्मकता का गवाह है। वह इस ऐतिहासिक मंदिर का कायाकल्प कराने के साथ रामलला के दर्शनार्थियों को नित्य मुफ्त भोजन भी कराते हैं। सुप्रीमकोर्ट में वह राम मंदिर की दोवदारी करने वाले पंजीकृत पक्षकार भी रहे हैं।