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सावन पूर्णिमा पर भक्तों ने लगाई सरयू में डुबकी

गुरुवार को पौ फटते ही सरयू की ओर उन्मुख हुए। भोर से ही सरयू की ओर जाते मार्ग पर आस्था का सैलाब प्रवाहित था, जो पुण्य सलिला सरयू के दामन में डुबकी लगाने के लिए बेकरार दिख रहा था।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2016 06:30 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2016 07:11 PM (IST)

अयोध्या (जेएनएन)। सावन झूला मेला पूर्णिमा स्नान के साथ सम्पन्न हो गया। नगरी में जमा लाखों श्रद्धालुओं ने बीती शाम मंदिरों में विराजे आराध्य-आराध्या के प्रति श्रद्धा निवेदित की, तो गुरुवार को पौ फटते ही सरयू की ओर उन्मुख हुए। भोर से ही सरयू की ओर जाते मार्ग पर आस्था का सैलाब प्रवाहित था, जो पुण्य सलिला सरयू के दामन में डुबकी लगाने के लिए बेकरार दिख रहा था।

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भीड़ नियंत्रित करने के लिए पुलिस, पीएसी एवं अद्र्ध सैनिक बल के जवान डटे रहे। सरयू के करीब दो किलोमीटर लंबे घाट पर स्नान के बाद श्रद्धालु भोले बाबा की पौराणिक पीठ नागेश्वरनाथ की ओर चल दिए प्रशासन ने जगह-जगह बेरीकेडिंग कर श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की व्यवस्था पहले से कर रखी थी। हालांकि भोर भीड़ की पहली धार के साथ ही व्यवस्था कायम रखने की चुनौती उठ खड़ी हुई लेकिन मौके पर तैनात अधिकारी व पुलिस के जवान पूरे धैर्य से अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे।

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सरयू स्नान से लौटानी की बेला भी आस्था के प्रवाह की वाहक बनी। भोले बाबा का अभिषेक, फिर हनुमानगढ़ी में विराजमान बजरंगबली का दर्शन। श्रद्धालुओं के इस उपक्रम से नगरी के विभिन्न मार्ग आस्था की प्रबल धार में बंधे रहे। मुख्य मार्ग पर तिल तक रखने की जगह नहीं थी, तो हनुमानगढ़ी पर उमड़ती-घुमड़ती भीड़ कमजोर दिल वालों की धुकधुकी बढ़ा रही थी, लेकिन ऐसी चुनौती से बेखबर श्रद्धालु बजरंगबली की झलक पाने और उन्हें भोग अर्पित करने के लिए अविचलित दिखे। कनकभवन, रामजन्मभूमि, मणिरामदास जी की छावनी आदि सहित नगरी के हजारों मंदिर भी श्रद्धालुओं से पटे रहे।

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शाम तक नगरी ने ली राहत की श्वांस

सरयू स्नान और प्रमुख मंदिरों में दर्शन-पूजन के साथ 13 दिवसीय सावन झूला मेला शिखर का स्पर्श कर अवरोह की ओर उन्मुख हुआ। भारी भीड़ से कराह रही नगरी शाम तक राहत की श्वांस लेती दिखी। श्रद्धालुओं का जत्था डेरा-डंडी संभाल लौटने लगा था और जो डटे थे, उनके लिए भीड़ का दबाव काफी हद तक कम हो गया था।


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