Move to Jagran APP

सराफा होली के क्या कहने..

अयोध्या होलिकादहन का दिन और शहर की हृदयस्थली चौक! जैसे ही जेहन में कौंधता है होली के उल्लास में डूबा रंगों से सराबोर दिन दिलों-दिमाग पर छा जाता है। हो भी क्यों न यहां दिन भर जो बिखरी रहती है होली की मस्ती। 1965 से इस होली का प्रबंधन सराफा व्यापार मंडल के हाथ में है इसलिए इसे सराफा की होली के खिताब से नवाजा जाता है। इस होली की शुरुआत 1950 में जिलाधिकारी रहे केके नैय्यर और सिटी मजिस्ट्रेट ठाकुर गुरुदत्त सिंह के प्रयासों से हुई थी। उस समय में महाशय केदारनाथ आर्य भोला रस्तोगी महावीर प्रसाद वैद्य लाला राजकिशोर अग्रवाल ने आयोजन में इस कदर भूमिका निभाई की

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 06:44 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 06:44 AM (IST)
सराफा होली के क्या कहने..
सराफा होली के क्या कहने..

अयोध्या : होलिकादहन का दिन और शहर की हृदयस्थली चौक! जैसे ही जेहन में कौंधता है होली के उल्लास में डूबा रंगों से सराबोर दिन दिलों-दिमाग पर छा जाता है। हो भी क्यों न, यहां दिन भर जो बिखरी रहती है होली की मस्ती। 1965 से इस होली का प्रबंधन सराफा व्यापार मंडल के हाथ में है, इसलिए इसे सराफा की होली के खिताब से नवाजा जाता है।

loksabha election banner

इस होली की शुरुआत 1950 में जिलाधिकारी रहे केके नैय्यर और सिटी मजिस्ट्रेट ठाकुर गुरुदत्त सिंह के प्रयासों से हुई थी। उस समय में महाशय केदारनाथ आर्य, भोला रस्तोगी, महावीर प्रसाद वैद्य, लाला राजकिशोर अग्रवाल ने आयोजन में इस कदर भूमिका निभाई की, होली खेलने वाले युवा तो सैकड़ों की तादात में जुटे ही, देखनेवालों की भीड़ भी हजारों में रही। डेढ़ दशक बाद वर्ष 1940 में स्थापित सराफा मंडल साकेत ने इस होली का जिम्मा संभाल लिया और अब तक यह परंपरा निर्विघ्न रूप से निभाई जा रही है। होलिकादहन के दिन सराफा कारोबारी चौक आने-जाने वाले हर शख्स को रंगों से सराबोर करते हैं। 1970 में महेश चंद्र कपूर नगरपालिकाध्यक्ष बने तो उन्होंने पानी के प्रबंध के लिए नगरपालिका का टैंकर उपलब्ध कराया। कालांतर में होली के आयोजन में जिन हस्तियों ने अहम भूमिका निभाई, उनमें घनश्याम नारायण बंसल, श्रीनाथ बंसल, अंबरीश अग्रवाल, ओमप्रकाश सराफ, विजय कुमार अग्रवाल, पुरुषोत्तमदास अग्रवाल शामिल रहे। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन इस होली के आयोजन में नरेश अग्रवाल, राकेश अग्रवाल, पवन बंसल, अवधेश अग्रवाल आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। नवाब भी खेलते थे होली

-अवध के नवाब आसिफुद्दौला न केवल अपने महल में होली खेलते थे, बल्कि बसंत भी मनाते थे। यही नहीं होली के दिन फाग भी गाते थे। उन्होंने भी कुछ फागों की रचना भी की थी। इसी से अवध की तहजीब को गंगा-जमुनी कहलाने का हक हासिल हुआ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.