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स्वीकार्य-संवाद की बुनियाद पर बने राममंदिर

शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने राममंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहल का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, संत समाज एवं विविध क्षेत्रों के अग्रणी लोगों को व्यासपीठ से आवाज दे रहा हूं, स्वीकार्य और संवाद की नींव पर राममंदिर बनाएं'। इस मंदिर को बापू

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 10:44 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 10:44 PM (IST)
स्वीकार्य-संवाद की बुनियाद पर बने राममंदिर
स्वीकार्य-संवाद की बुनियाद पर बने राममंदिर

अयोध्या : शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने राममंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहल का आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, संत समाज एवं विविध क्षेत्रों के अग्रणी लोगों को व्यासपीठ से आवाज दे रहा हूं, स्वीकार्य और संवाद की नीव पर राममंदिर बनाएं'। इस मंदिर को बापू ने विश्व मंदिर नाम भी दिया।

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वे रामकथा पर आधारित नौ दिवसीय मानस-गणिका महानुष्ठान का समापन कर रहे थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि मानस-गणिका के माध्यम से बना स्वीकार्य-संवाद का वातावरण मंदिर निर्माण के प्रारंभ की बुनियाद बनेगा। उन्होंने स्वीकार्य को राम शब्द का 'रा' एवं संवाद को 'म' बताया और कहा, इस ईंट को खंडित नहीं होने देना है। बापू ने गणिकाओं की स्वीकार्यता-अस्मिता से जुड़े मानस-गणिका के सफलतापूर्ण संयोजन पर सहयोगियों, संतों एवं श्रोताओं के प्रति आभार जताया। कहा, यह मोरारी बापू का काम नहीं, इसे रामकथा कर सकती है। बापू ने स्वयं पर तंज भी कसा और सुनाया, जमाने में कई ऐसे नादान होते हैं/ वहीं ले जाते हैं कश्ती जहां तूफान होते हैं। उन्होंने अपनी साध भी स्पष्ट की। कहा, हर विघ्न टल जाय और संवाद-सत्संग की सरिता प्रवाहित होती रहे। बापू ने रामकथा का क्रम आगे बढ़ाते हुए मानवीय गुणों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। प्रसंग जनक की वाटिका में भगवान राम एवं मां सीता के प्रथम मिलन का होता है। बापू इस मिलन को मर्यादा और शील का मिलन बताते हैं। आयोजन का अंतिम दिन होने के चलते कथा का क्रम तेजी से आगे बढ़ाते हुए बापू भरत के चरित्र पर कुछ पल के लिए केंद्रित होते हैं। कहते हैं, कुछ लोग पद नहीं पादुका, सत्ता नहीं सत के अनुयायी होते हैं। भरत इस परंपरा के आचार्य हैं और उन्होंने राम के वन जाने से विचलित लोगों के जीवन में संजीवनी भर दी है। पादुका का शासन गांधी की ट्रस्टीशिप का आधार

- लोकशाही और सुशासन के लिए महात्मा गांधी की ट्रस्टीशिप की अवधारणा का आधार बापू ने पादुका की व्यवस्था में निहित बताया। भगवान राम की पादुका को गद्दी पर रख राज्य संचालन कर भरत ने रामराज्य की भाव-भूमि तैयार की थी।

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रावण को खुशामदखोरों ने मारा

- बापू ने कहा, रावण को खुशामदखोरों ने मारा। बापू ने ऐसे लोगों से बचने की सलाह दी और कहा, सचिव, वैद्य और गुरु खुशामदखोर मिल जाए, तो भगवान ही मालिक।

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नौकरों को भी दें विमान यात्रा का मौका

- वन से लौटते समय पुष्पक विमान में निषाद को स्थान देने के लिए भगवान राम की दाद देते हुए बापू ने धनपतियों का आह्वान किया कि वे अपने नौकरों-चाकरों को कभी-कभी विमान यात्रा का मौका दें, उनकी पूरी ¨चता करें और सेवा-संवेदना से अपने धन को लक्ष्मी में परिवर्तित करें।

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शोषिता-वंचिता फंड के लिए आए साढ़े छह करोड़

- गणिकाओं के कल्याणार्थ शोषिता-वंचिता फंड के लिए बापू के आह्वान पर साढ़े छह करोड़ की राशि घोषित हुई। फंड के लिए घोषित राशि अगले सोमवार तक ही स्वीकार की जाएगी। 27 जनवरी को बापू की प्रयाग की कथा के समापन अवसर पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह राशि किस-किस मद में व्यय हो रही है।


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