..¨हदुआन को वेद सम यवन¨ह प्रकट कुरान
परिक्रमा मार्ग स्थित बड़ा भक्तमाल परिसर में नौ दिवसीय मानस-गणिका महामाला का छठवां पुष्प अर्पित करते हुए मोरारी बापू ने गणिकाओं की प्राचीनता विवेचित की। उन्होंने ऋग्वेद एवं अथर्ववेद के उन मंत्रों को प्रस्तुत किया, जिसमें गणिकाओं के प्रति समुचित सम्ममान एवं स्वीकार्यता वर्णित है।
अयोध्या : परिक्रमा मार्ग स्थित बड़ा भक्तमाल परिसर में नौ दिवसीय मानस-गणिका महामाला का छठवां पुष्प अर्पित करते हुए मोरारी बापू ने गणिकाओं की प्राचीनता विवेचित की। उन्होंने ऋग्वेद एवं अथर्ववेद के उन मंत्रों को प्रस्तुत किया, जिसमें गणिकाओं के प्रति समुचित सम्मान एवं स्वीकार्यता वर्णित है। बापू ने ऋग्वेद में गणिका के लिए प्रयुक्त 'साधारण्येव' शब्द की मीमांसा भी की। बताया कि साधारण्येव का अर्थ एक ऐसी आम स्त्री, जिसका ग्राहक कोई भी बनता है। बापू ने सृष्टि की प्रथम मां शतरूपा के सौ नामों का भी उल्लेख किया, जिसमें शतरूपा को गणिका भी कहा गया है। पाई न केहि गति पतित पावन/ राम भज सुनु सठ मना/ गनिका अजामिल व्याध गीध/ गजादि खल तारे घना।
गणिकाओं और हाशिए के अन्य समूहों को स्वीकृति देती प्रतिनिधि पंक्ति पर केंद्रित होने से पूर्व बापू ने रामचरितमानस की महिमा परिभाषित की। कहा, वाल्मीकि रामायण को वेद का अवतार कहा जाता है और रामचरितमानस के रचनाकार तुलसीदास को वाल्मीकि का अवतार माना जाता है। मानस की महिमा विवेचित करते हुए बापू ने रहीम की यह पंक्ति पेश की, रामचरितमानस विमल/ संतन जीवन प्राण/ ¨हदुआन को वेद सम/ यवन¨ह प्रकट कुरान। बापू ने रहीम के साहस को सलाम किया और कहा, रहीम ने जो हिम्मत दिखाई है, वह अदभुत और बिल्कुल ठीक है। मेरी भी ²ष्टि में मानस पंचम वेद है। प्राचीन शास्त्रों का निगमन करते हुए बापू ने बताया, गणराज्यों के दौर में गणिकाओं का बहुत सम्मान था और साम्राज्यवाद के समय गणिकाओं का मूल्य घटता गया। बापू ने तुलसीदास की एक अन्य कृति विनय पत्रिका के पद प्रस्तुत किए। इस पद में कहा गया है कि कुलाभिमान मायने नहीं रखता। असली चीज है, उसकी कृपा। भगवान ने जिसको-जिसको गले लगाया, वह त्रैलोक्य में पूजित हुआ और उसका नाम सुन-सुन कर लोक तरा। बापू ने पूरी मोहकता से उन लोगों पर निशाना भी साधा और यह फिल्मी गीत गुनगुनाया, कुछ तो लोग कहेंगे..। प्रत्येक वर्ष सौ गणिकाओं की बेटियों की कराएंगे शादी - बापू ने गणिकाओं के पुनर्वास में सहयोग-सम्मान की ²ष्टि से प्रत्येक वर्ष अपने गांव तलगाजागड़ा में गणिकाओं के बेटे-बेटियों का विवाह कराएंगे। भविष्य में यह संख्या बढ़ भी सकती है। कहा, वर-वधू गणिकाएं अपने समाज में तलाशें और मैं बाप हूं- मैं करूंगा कन्यादान। बापू ने वंचिता-शोषिता फंड में सहयोग करने के लिए सूरत की गणिकाओं के प्रति आभार जताया और कहा, यह फंड उनकी सहायता के लिए है न कि उनसे सहायता लेने के लिए। ------------------------ अवध में आनंद भयो.. -बापू के संवाद का पूरा सत्र ही रस संवाही होता है पर बीच-बीच में इसका शिखर उठता है। रामजन्म की बधाई गीत का ऐसा समां बंधा की पूरा पंडाल काठियावाड़ी रास पर थिरक उठा और बापू अंतर की थिरकन का स्पर्श करते हुए पूरी रौ में गाते हैं, अवध में आनंद भयो जय रघुवर राज की। -------------------
गालिब साहब को आदाब
- मंच पर बापू को किसी ने बताया, आज मिर्जा गालिब का 221वां जन्मदिन है। बापू ने कहा, गालिब साहब को आदाब। बापू के प्रवचन में सनातनी ग्रंथों के साथ गजलें और शायरियां भी होती हैं। बापू गालिब की पंक्तियों का गान और व्याख्यान पूरे रस से करते हैं। --------------------- संत से सुधरती है गति
- बापू ने एक बौद्ध भिक्षु की कथा भी सुनाई, जो बुद्ध की स्वीकृति से गणिका के घर वर्षावास कर अपने संयम और अनासक्ति का परिचय देता है और उसका प्रभाव ऐसा पड़ता है कि भिक्षु के पीछे गणिका भी भिक्षुणी बन बुद्धं शरणं का उद्घोष करने लगती है। कहा, साधु चाहे जिसके संपर्क में आए, उसका कुछ नहीं बिगड़ता और सामने वाले की गति सुधर जाती है। ------------------------ शिव के नेत्र विश्वास के विविध स्वरूप
-पंचमुखी शिव के 15 नेत्र विश्वास के परिचायक हैं और रामकथा कहने का अधिकारी शिव ही हो सकते हैं, जो विश्वास के पर्याय हैं। इसीलिए शिव की कथा में शीतलता है। यही कथा याज्ञवल्क्य और तुलसीदास कहते हैं, जो साधारण जीव न होकर बुद्ध पुरुष थे। बापू ने शिव की 15 आंखों के लक्षण भी बताए।