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सब मम प्रिय सब मम उपजाए सबते अधिक मनुज मो¨ह भाए..

-वंचिता फंड की राशि का उपयोग गणिकाओं का जीवन-स्तर उठाने में किया जाएगा। बापू ने फंड के लिए पहले सवा करोड़ और फिर तीन करोड़ रुपए एकत्रित होने की उम्मीद जताई थी पर समझा जाता है कि शनिवार तक इसमें बापू की उम्मीद से कहीं अधिक राशि एकत्रित हो जाएगी। -----------

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 11:26 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 11:26 PM (IST)
सब मम प्रिय सब मम उपजाए सबते अधिक मनुज मो¨ह भाए..
सब मम प्रिय सब मम उपजाए सबते अधिक मनुज मो¨ह भाए..

अयोध्या : बापू ने नौ दिवसीय मानस-गणिका महानुष्ठान के चौथे दिन गणिका का आध्यात्मिक विवेचन किया। अपनी बात वे रामचरितमानस में परमात्मा से संवाद के संदर्भ की इस पंक्ति से आगे बढ़ाते हैं, सब मम प्रिय/ सब मम उपजाए/ सबते अधिक मनुज मो¨ह भाए। बापू सवाल उठाते हैं। सब उसी की कृति हैं और जब वह तुम्हारे बाप को प्रिय है, तो तुम क्यों दुराव करते हो।

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इसी के साथ ही बापू गणिका के संदर्भ पर नाक-भौं सिकोड़ने वालों को सीख भी देते हैं। इस मशहूर फिल्मी गीत को पूरी लय में पेश कर, कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना, छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत न जाए रैना। श्रोता एक ओर गीत के भाव-राग में डूबे होते हैं और बापू दूसरे की रचना पर हर्षित होने का दृष्टांत सुना रहे होते हैं। कहते हैं, कैसा भेद। हमारे हाथ में जन्म नहीं। मृत्यु नहीं। पर जीवन है। महापुरुषों ने स्वयं के जीवन का एक्सरे लिया और सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराई को प्रकट किया। तुलसीदास ने स्वयं को मो सम कौन कुटिल खल कामी कहा। बापू ने याद दिलाया, शिव, ब्रह्मा, मुनि, किन्नर आदि के साथ आकुल धरती के साथ गणिकाएं भी भगवान से अवतार की प्रार्थना कर रही थीं। बापू ने गणिकाओं पर सवाल उठाने वाले समाज को दिल में झांकने की सलाह दी। कहा, कोई देह बेचता है पर लोग तो ईमान बेंच लेते हैं। बापू ने ईश्वर और जीव की अभिन्नता भी प्रतिपादित की। कहा, हम हरि से निकले हैं। लाख कोशिश करें, वह छूट नहीं पाता। रावण-मारीच ने भुलाने की कोशिश की पर भुला नहीं पाए। यह सच्चाई प्रतिपादित करते हुए पूरी रमणीयता से इस मशहूर फिल्मी गाने के साथ होते हैं। बुरा हो इस मुहब्बत का वे क्यूं कर याद आते हैं। मार्मिक गीत की पंक्तियों में डुबकी लगाने के साथ अनंत-अज्ञात के प्रति प्रीति से भरे अनेक श्रोताओं की आंखें बापू के साथ नम होती हैं। तीन करोड़ के पार पहुंचा शोषिता-वंचिता फंड

- रविवार को बापू की ओर से 11 लाख रुपये के साथ प्रस्तावित वंचिता-शोषिता फंड के लिए दो दिनों में ही तीन करोड़ 39 हजार 27 हजार की राशि इकट्ठी हो गई। इसमें यूके की संस्था दि गॉड इज माई साइलेंट पार्टनर के चेयरमैन रमेश भाई सचदेव ने अकेले ही एक करोड़ की राशि देने का ऐलान किया। शोषिता-वंचिता फंड की राशि का उपयोग गणिकाओं का जीवन-स्तर उठाने में किया जाएगा। बापू ने फंड के लिए पहले सवा करोड़ और फिर तीन करोड़ रुपये एकत्रित होने की उम्मीद जताई थी पर समझा जाता है कि शनिवार तक इसमें बापू की उम्मीद से कहीं अधिक राशि एकत्रित हो जाएगी। धन लक्ष्मी

- बापू ने शोषिता-वंचिता फंड के लिए दान देने वालों के प्रति आभार जताते हुए बताया, करुणा के अधिकारी लोगों को दान देने से धन लक्ष्मी बन जाती है। यीशु, महामना एवं अटल को किया नमन

- प्रवचन के दौरान बापू ने मौजूदा तारीख को भी विश किया। जन्मदिन पर प्रभु यीशु, महामना मदनमोहन मालवीय एवं अटल बिहारी वाजपेयी को पूरी निष्ठा से नमन किया। ..और सुनाया, तुझे और क्या दूं इस दिल के सिवा तुझको हमारी उमर लग जाए। कहां बांधू कुटिया, कहां बांधूं टाटी

बापू ने यीशु के जीवन का उदाहरण देकर कहा, कौन कहां पैदा हुआ, यह मायने नहीं रखता। कुंवारी मां से पैदा हुए यीशु यह कह सकने में सक्षम हुए कि प्रेम ही परमात्मा है। याके पेट इसका दिया। बापू ने यीशु को बहुत मासूम तथा यीशु की मां को और भी मासूम बताया।


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