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रामायण काल में उन्नत थी विज्ञान एवं तकनीक : शर्मा

फैजाबाद : डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि व एमिट

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 11:57 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 11:57 PM (IST)
रामायण काल में उन्नत थी विज्ञान एवं तकनीक : शर्मा
रामायण काल में उन्नत थी विज्ञान एवं तकनीक : शर्मा

फैजाबाद : डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षा समारोह के मुख्य अतिथि व एमिटी विश्वविद्यालय गुरुग्राम के कुलपति प्रो. पीबी शर्मा ने कहाकि रामायण काल में विज्ञान एवं तकनीक के ऊंचे सोपान स्थापित थे। वे भले ही आज काल्पनिक विज्ञान कथा जैसे लगते हों, लेकिन वास्तव में तत्समय वैज्ञानिक रूप से उन्नत समाज की ऐसी कसौटी थी, जिसमें धरती पर स्वर्ग के सृजन का साम‌र्थ्य था तो पूरे ब्रह्मांड के विनाश की शक्ति भी। उन्होंने विश्वामित्र के भगवान राम को अस्त्र-शस्त्र प्रदान करने का उदाहरण देते हुए कहाकि दो मोबाइल अथवा दो कंप्यूटरों के बीच ब्लूटूथ के संचार हैं, वैसे ही विश्वामित्र ने भगवान राम को 13 इंच की दूरी पर बैठाकर शस्त्रों का गुप्त रहस्य बताया।

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विश्वामित्र ने भगवान राम को तब का ब्रह्मास्त्र, जिसे आज न्यूक्लियर शस्त्र का जा सकता है प्रदान किया। साथ ही तब का अग्निवंश आज की नियंत्रित मिसाइल और तब का नागास्त्र जो आज का रासानिक शस्त्र है, भी दिया। जैसे भगवान राम ने इन शस्त्रों का उपयोग आसुरी शक्तियों से लड़ने में किया, वैसे ही समाज की पीड़ा और समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता, शिक्षा का अनिवार्य अंग हैं। उन्होंने कहाकि सौर व नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, ऊर्जा सुरक्षा के लिए सस्ती और पर्यावरण अनुकूल तकनीक है। आने वाले समय में सौर व हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करेगी। उन्होंने कहाकि बैटरियों से चलने वाली इलेक्ट्रानिक कारें व वाहनों से वाहन अभियांत्रिकी, सड़क और वायुमार्ग के परिवहन में क्रांतिकारी परिवर्तन होने जा रहे हैं। इसी प्रकार विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में भी बड़े बदलाव आ रहे है। स्वचालित व एकीकृत कामगार, यंत्र व्यवस्था, ई-बैं¨कग, ई-विपणन, ई-सेवाएं अर्थव्यवस्था में गहरी पैठ बना रही हैं।

उन्होंने कहाकि विद्यार्थियों को निर्धनता, भुखमरी, बीमारी और अज्ञानता की समस्या के निवारण पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहाकि धरतो को माता की तरह मानकर बेहतर संसार व उज्ज्वल भविष्य के सृजन की ओर बढ़ना होगा। समारोह में राज्यपाल ने मेधावियों को मेडल वितरित किया। साथ ही कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने प्रतिवेदन रखा। समारोह का संचालन प्रो. अशोक शुक्ल व आभार ज्ञापन कुलसचिव प्रो. एसएन शुक्ल ने किया। समारोह में मुख्य अतिथि की पत्नी प्रो. मीना शर्मा को सम्मानित किया गया। कुलपति ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किया। इस मौके पर रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, जिलाधिकारी अनिल कुमार, ब्रिगेडियर ज्ञानोदय, मिल्कीपुर विधायक गोरखनाथ बाबा, ¨सधी अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष अमृत राजपाल, अविवि कार्यपरिषद के सदस्य ओमप्रकाश ¨सह, केके मिश्र, सरल ज्ञाप्रटे, प्राक्टर प्रो. आरएन राय, परीक्षा नियंत्रक प्रो. एमपी ¨सह आदि थे।

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वेशभूषा रही आकर्षण का केंद्र

-दीक्षांत समारोह की वेशभूषा आकर्षण का केंद्र रही। सिर पर अवधि संस्कृति को बयां करती पगड़ी और कुर्ता पायजामा पहने विवि के अधिकारी, शिक्षक व छात्र अनूठे अंदाज में नजर आए। समारोह में मौजूद हर शख्स की जुबां पर यह वेशभूषा ही रही।


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