बयां हो रही सीता-राम विवाहोत्सव की सरगर्मी
अयोध्या: रामनगरी में रामविवाहोत्सव की सरगर्मी बयां हो रही है। विवाह की रस्म के अनुरूप कह
अयोध्या: रामनगरी में रामविवाहोत्सव की सरगर्मी बयां हो रही है। विवाह की रस्म के अनुरूप कहीं मड़वा की सफाई तो कहीं हल्दी पूजन की तैयारी है। आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान में तो शनिवार से ही सीता-राम विवाहोत्सव का आगाज रामकथा एवं रामलीला के साथ हो चुका है। दशरथमहल के महंत विदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य के अनुसार यह पीठ राजा दशरथ के महल का प्रतिनिधित्व करती है। गुरुवार को रामबरात भी राजसी भव्यता के साथ निकलेगी। मधुर उपासना परंपरा की शीर्ष पीठ में दो सौ वर्ष पुराना मंडप इस साल के सीता-राम विवाहोत्सव के लिए सज्जित हो गया है। रविवार को रंगमहल में हल्दी पूजन की रस्म संपादित हुई। सोमवार से चार दिवसीय रामलीला की शुरुआत होगी। पहली शाम मारीच-सुबाहु के वध का मंचन होगा। ऐन रामविवाह के दिन यानी 23 नवंबर को सीता-राम विवाहोत्सव का मंचन होगा। इससे पूर्व महंत रामशरणदास की अगुवाई में राम बरात निकलेगी। अगले दिन कलेवा का भंडारा प्रस्तावित है। रंगमहल मधुर भावधारा के प्रतिनिधि राम विवाहोत्सव एवं झूलनोत्सव के लिए जाना जाता है। भावपूर्ण उत्सवधर्मिता रंगमहल की जड़ों में समाहित है। रंगमहल के रूप में उपासना की भावपूर्ण विरासत के प्रवर्तक महान रसिक संत सरयूशरण रहे हैं। मधुर उपासना परंपरा का जिक्र हो तो सरयू तट पर स्थित रसमोदकुंज का अक्स उभरता है। रसमोदकुंज के संस्थापक मधुर उपासना परंपरा के पहुंचे संतों में रहे हैं, उनके प्रशिष्य एवं वर्तमान महंत रामप्रियाशरण के संयोजन में यह परंपरा आगे बढ़ रही है। यहां गत सप्ताह से ही रहस्योपासना एवं विवाह के गीत गाए जा रहे हैं। विवाह की तिथि निकट आने के साथ विवाह गीतों की तासीर प्रगाढ़ होती जा रही है। हनुमानबाग एवं जानकीमहल में सोमवार को रामार्चा पूजन के साथ विवाहोत्सव का आरंभ होगा।
जगाना होगा श्रद्धा-विश्वास
-जीवन को सार्थक बनाने के लिए श्रद्धा और विश्वास जगाना होगा। श्रद्धा और विश्वास से ही उस रामकथा का जन्म संभव है, जो जीवन की परम संभावनाओं को उपलब्ध कराती है। यह उद्गार हैं, रामकथा मर्मज्ञ युगलकिशोरशरण चंचल के। वे दशरथमहल बड़ास्थान में नौ दिवसीय रामकथा माला के दूसरे दिन प्रवचन कर रहे थे। कथा व्यास ने भगवान राम के बाल रूप की महत्ता पर भी प्रकाश डाला।