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मंदिर निर्माण के साथ सहेजनी होगी धरोहर

67.77 एकड़ के जिस अधिग्रहीत परिसर में रामलला के मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है उस परिसर में पौराणिक महत्व का कुबेरटीला शामिल है। 27 वर्ष पूर्व अधिग्रहण तक यह स्थल रामनगरी के चुनिदा दर्शनीय स्थलों में शुमार रहा। अयोध्या का इतिहास विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार युगों पूर्व यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 11:04 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 06:04 AM (IST)
मंदिर निर्माण के साथ सहेजनी होगी धरोहर
मंदिर निर्माण के साथ सहेजनी होगी धरोहर

रघुवरशरण, अयोध्या : 67.77 एकड़ के जिस अधिग्रहीत परिसर में रामलला के मंदिर निर्माण की तैयारी चल रही है, उस परिसर में पौराणिक महत्व का कुबेरटीला शामिल है। 27 वर्ष पूर्व अधिग्रहण तक यह स्थल रामनगरी के चुनिदा दर्शनीय स्थलों में शुमार रहा। अयोध्या का इतिहास विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार युगों पूर्व यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था। उन्होंने रामजन्मभूमि के निकट ऊंचे टीले पर शिवलिग की स्थापना की थी। कालांतर में यहां मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी, कुबेर सहित कुल नौ देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गई और श्रद्धालुओं के बीच यह स्थल 'नौरत्न' के नाम से पूजित-प्रतिष्ठित हुआ।

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सन 1902 में एडवर्ड अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा ने 84 कोस की परिधि में रामनगरी के जिन 148 पुरास्थलों को चिह्नित किया, उसमें से एक कुबेर टीला भी था। कालांतर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआइ) की भी निगाह कुबेर टीला पर पड़ी। एएसआइ ने अयोध्या जिला में कुबेर टीला सहित पुरातात्विक महत्व के आठ स्थलों को संरक्षण के लिए सूचीबद्ध किया। ऐसे में मंदिर निर्माण के दौरान श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को कुबेर टीला की पौराणिकता सहेजने के साथ इस स्थल की पुरातात्विक विरासत से न्याय करना होगा।

रामनगरी की पौराणिकता के मर्मज्ञ आचार्य रामदेवदास शास्त्री के अनुसार कुबेर टीला जैसी धरोहर को संरक्षित कर न केवल अतीत की स्मृति अक्षुण्ण रखी जा सकती है, बल्कि ऐसी विरासत जीवंत होने से राममंदिर की चिरपरंपरा भी परिभाषित होती रहेगी।

हिदू-मुस्लिम एकता का स्मारक भी

कुबेर टीला हिदू-मुस्लिम एकता का स्मारक भी है। 1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध संघर्षरत स्थानीय हिदुओं एवं मुस्लिमों ने आपसी एकता और मजबूत करने की ²ष्टि से मंदिर-मस्जिद विवाद हल करने का रास्ता निकाला। मुस्लिम राममंदिर पर से अपना दावा छोड़ने को तैयार भी हो गए थे पर योजना फलीभूत होने से पूर्व अंग्रेजों ने गदर के स्थानीय नायक बाबा रामशरणदास एवं अमीर अली को गिरफ्तार कर लिया। कुबेरटीला पर स्थित इमली के पेड़ पर लटकाकर दोनों वीरों को मृत्युदंड दे दिया था।


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