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अयोध्या पहुंचे वसीम रिजवी ने ओवैसी को बिना मूंछों वाला रावण बताया

सुप्रीमकोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की शुरू हो रही सुनवाई से पूर्व मंदिर के पक्षकारों से भेंट करने रामनगरी पहुंचे रिजवी ने रामलला के दर्शन भी किए।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 10:26 AM (IST)
अयोध्या पहुंचे वसीम रिजवी ने ओवैसी को बिना मूंछों वाला रावण बताया

अयोध्या (जेएनएन)। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को बगैर मूंछों वाला रावण बताया। इसी माह की 29 तारीख से सुप्रीमकोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की शुरू हो रही सुनवाई से पूर्व मंदिर के पक्षकारों से भेंट करने रामनगरी पहुंचे रिजवी ने रामलला के दर्शन भी किए।

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इस बीच मीडिया से बात-चीत में उन्होंने कहा, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं ओवैसी जैसे बगैर मूंछों के रावण भगवान राम से दुश्मनी पर आमादा हैं और इन लोगों की वजह से ही रामलला का मंदिर अदालत के हुक्म का मोहताज है। शिया बोर्ड के अध्यक्ष ने बाबरी मस्जिद के पैरोकारों को इस्लामिक दृष्टि से भी गुनाहगार बताया। कहा, इस्लाम किसी का हक मारने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में किसी की जमीन पर जबरन बनाई गई मस्जिद की वकालत इस्लाम की अवहेलना है। करीब दो घंटे के अयोध्या प्रवास में रिजवी ने राम मंदिर के पक्षकार एवं निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास एवं दशरथगद्दी के महंत बृजमोहनदास से भी भेंट की।

शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रामघाट स्थित तपस्वी जी की छावनी पहुंचे, जहां महंत परमहंसदास ने रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अनशन शुरू किया है। अनशन को अपना समर्थन देते हुए रिजवी ने कहा, परमहंसदास का मकसद पाक है एवं मंदिर भी बनना तय है और मैं चाहूंगा कि जब मंदिर का निर्माण शुरू हो, तो परमहंसदास भी निर्माण की ईंट रखें। इस दौरान उनके साथ युवा समाजसेवी राजूदास, शिया बोर्ड के सदस्य अशफाक हुसैन जिया, राकेश सोनकर आदि मौजूद रहे।

मंदिर के अलावा कुछ भी स्वीकार्य नहीं : राय

दिगंबर अखाड़ा पहुंचे शिया बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने महंत सुरेशदास के साथ विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय से भी भेंट की। रिजवी से भेंट के बाद राय ने कहा, रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण तय है और वहां राम मंदिर के अलावा कुछ भी नहीं स्वीकार किया जा सकता।


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