रामनवमी मेला का उत्साह चरम की ओर उन्मुख
अयोध्या : रामनगरी के मंदिरों में राम जन्मोत्सव रविवार एवं सोमवार को मनाया जाएगा पर रामनवमी म
अयोध्या : रामनगरी के मंदिरों में राम जन्मोत्सव रविवार एवं सोमवार को मनाया जाएगा पर रामनवमी मेला का उत्साह गुरुवार से ही चरम की ओर उन्मुख नजर आया। जगह-जगह विशेष पूजन-अनुष्ठान के साथ प्रथम बेला में रामचरितमानस का नवाह्न पारायण एवं दूसरी बेला में रामकथा का विवेचन वासंतिक नवरात्र की शुरुआत से ही हो रहा है पर नवरात्र की पंचमी तिथि के साथ अनुष्ठान के प्रति आयोजकों के समर्पण में श्रद्धालुओं की शिरकत चार-चांद लगा रही है।
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रामकथा की रसधार में डुबकी लगा रहे श्रद्धालु
- कोशलेशसदन मंदिर के सभागार रामानुजीयम में कथा का क्रम आगे बढ़ाते हुए जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्याभास्कर ने रावण के कुत्सित साम्राज्यवाद की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने बताया कि रावण भारत में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता था और इसके लिए उसने कि¨ष्कधा और यहां के शासक बालि को माध्यम बनाया। यद्यपि बालि बहुत वीर था और रावण को पराजित कर चुका था पर रावण ने कूटनीति का आश्रय लेकर बालि से मित्रता का ढोंग किया। रावण ने बालि से मित्रता की आड़ में कि¨ष्कधा को अपने उपनिवेश के तौर पर विकसित करना शुरू किया। वे भगवान राम थे, जिन्होंने रावण का अंत करने से पूर्व उसकी इस साजिश का उन्मूलन किया। अशर्फीभवन के माधवभवन में चल रही रामकथा के पांचवें दिन जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य ने कहा, अयोध्या की शोभा पहले से ही दिव्य थी और भगवती सीता के आ जाने से और भी दिव्य हो गई। राम राज्याभिषेक की घोषणा से यह दिव्यता असीम हो गई पर दासी मंथरा एवं रानी केकई के चलते भगवान को सीता एवं लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वन जाना पड़ा। प्रभु ने पिता के वचन की मर्यादा निभाते हुए अविचल भाव से अयोध्या का वैभवपूर्ण राज्य त्याग दिया।
सियारामकिला झुनकीघाट में रामकथा पर व्याख्यान देते हुए स्वामी प्रभंजनानंदशरण ने कहा, रामकथा जीवन जीने की कला सिखाती है। भगवान राम के चरित्र से प्रेरणा लेते हुए हमें दूसरों से ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, जो स्वयं को पसंद न हो। सुख पाना चाहते हैं तो दूसरे को सुख दें। सम्मान भी पहले दूसरों को देना सीखें। दुनिया का कोई ऐसा सुख नहीं है, जिसके पीछे दुख न लगा हो। अत: संसार के सुखों के पीछे न लगकर परमात्मा की शरण में जाना चाहिए। ¨हदूधाम में वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि डॉ. रामविलासदास वेदांती ने नौ दिवसीय कथा के पांचवे दिन लक्ष्मण के शौर्य का विवेचन किया, जब वे राम की आज्ञा से सुग्रीव को मैत्री की शर्त याद दिलाने कि¨ष्कधा जाते हैं। लक्ष्मण के धनुष की टंकार से पूरी कि¨ष्कधा भयभीत हो उठी है। सुग्रीव भी भयभीत हो उठा, उसने लक्ष्मण का क्रोध शांत करने के लिए तारा को भेजा, तारा ने लक्ष्मण को बहुत समझाया और अपने साथ सुग्रीव के पास ले गईं। मंच संचालन वशिष्ठ पीठ के उत्तराधिकारी महंत डॉ. राघवेशदास ने किया।
उत्तर तोताद्रिमठ में प्रवचन के दौरान स्वामी अनंताचार्य ने कहा, इस पृथ्वी पर सभी व्यक्तियों को अपने-अपने कर्माें का फल भोगना है और बिना कर्म का फल भोगे मुक्ति नहीं है।
-विधि-विधान से मना लक्ष्मी-नारायण का पाटोत्सव
-प्रसिद्ध पीठ अशर्फी भवन में विराजमान भगवान लक्ष्मी-नारायण का 73वां पाटोत्सव वैदिक विधि-विधान से मनाया गया। प्रात: आठ बजे से विद्वानों के मार्गदर्शन में लक्ष्मी-नारायण के विग्रह का महाभिषेक किया गया। तदुपरांत आराध्य को चांदी के नवनिर्मित ¨सहासन एवं छत्र के बीच आरूढ़ कराते हुए गुलाब, मोगरा आदि सुगंधित फूलों से भगवान का भव्य श्रृंगार किया गया। भगवान के अभिषेक एवं श्रृंगार में अशर्फीभवन पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी धराचार्य भी शामिल हुए। उन्होंने विग्रह पूजन की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा, विग्रह पूजन से व्यक्ति इस सत्य को शिरोधार्य करता है कि हम भगवान के ही अंश हैं। पाटोत्सव में कोलाकाता के राधेश्याम खेतान, शीला खेतान एवं त्रिभुवन गोयल, अलीपुर के जेठामल बजाज, रायपुर सुभाष श्रीवास्तव, जयपुर के मूलचंद्र पारिख आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।
'बारंबार अनुशीलन जीवन को करता है अनुप्राणित'
-रामनगरी में विविध रूपों में रामकथा की रसधार प्रवाहित हो रही है। एक ओर कथा मर्मज्ञ अनेक पंडालों एवं सभागारों में भगवान राम के चरित्र की तात्विकता परिभाषित कर रहे हैं, दूसरी ओर मंदिरों में रामचरितमानस का नवाह्न पारायण संचालित है। मणिरामदासजी की छावनी, रामवल्लभाकुंज, जानकीमहल जैसे शीर्ष मंदिरों में नवाह्न पारायण करने करने वालों की संख्या शताधिक है। वासुदेवघाट स्थित निष्काम सेवा ट्रस्ट में मानस का पारायण शुरू होने से पूर्व ट्रस्ट के व्यवस्थापक महंत रामचंद्रदास ने पारायण की वैज्ञानिकता उद्घाटित किया। उन्होंने कहा, बारंबार अनुशीलन से रामकथा जीवन को अनुप्राणित करती है।
-मंदिर निर्माण के लिए यज्ञ संचालित-त्यागी संतों की प्रसिद्ध पीठ खाक चौक में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए राम महायज्ञ संचालित है। संतों एवं साधकों का के दो समूह मानस के पारायण के साथ राम मंत्र का जप कर रहे हैं और इसी के साथ ही परशुरामदास के संयोजन में हवन कुंड में आहुति डाली जा रही है। परशुरामदास ने अनुष्ठान के सहयोगी देवगढ़ निवासी भाजपा नेता विकास ¨सह एवं अमर ¨सह को आशीर्वाद दिया और कहा, साध्य के साथ साधन की पवित्रता महत्वपूर्ण है। ऐसे में राम मंदिर के लिए यज्ञानुष्ठान महत्वपूर्ण माध्यम है।