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पर्यावरण अशुद्ध हुआ, घर-घर पॉलीथिन..

फैजाबाद : पर्यावरण अशुद्ध हुआ, घर-घर पॉलीथिन.., खतरे में तीनों पड़ गए, जल जीवन व जमीन। ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 11:10 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 11:10 PM (IST)
पर्यावरण अशुद्ध हुआ, घर-घर पॉलीथिन..
पर्यावरण अशुद्ध हुआ, घर-घर पॉलीथिन..

फैजाबाद : पर्यावरण अशुद्ध हुआ, घर-घर पॉलीथिन.., खतरे में तीनों पड़ गए, जल जीवन व जमीन। हास्य कवि ताराचंद तन्हा की ये पंक्तियां पॉलीथिन से जनजीवन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। पॉलीथिन का उपयोग हवा, पानी और मिट्टी को भी प्रदूषित कर रहा है। पॉलीथिन की आसानी से नहीं नष्ट होने की प्रवृत्ति इसके प्रयोग को और भी नुकसानदेह बना देती है। पॉलीथिन के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले रसायन मानव स्वास्थ्य के साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति, पानी और हवा को भी प्रदूषित कर देते हैं। नाले-नालियों से होते हुए पॉलीथिन नदियों तक पहुंचती है। साथ ही छोटे-छोटे कणों में टूटकर हवा और पानी में तैरते रहने से प्रदूषण का कारण बनती है।

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पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक पॉलीथिन और प्लास्टिक के सैकड़ों वर्ष तक नष्ट नहीं होने की वजह इसमें मिले रसायन हैं। विशेष रूप से रंगीन पॉलीथिन बेहद हानिकारक होती है। पॉलीथिन में प्लॉस्टिक एथिलिन, स्टाईरिन, प्रोपेलिन, कार्बोनेट व बिनाईल क्लोराईड आदि की बाहुल्यता होती है। इसके साथ ही इसमें प्लास्टिसाइजर्स, टाईटेनियम डाई आक्साइड, ¨जक आक्साइड, कार्बन, क्रोमियम, आयरन, कार्बनिक डाइज, माइका, कैल्शियम कार्बोनेट आदि का उपयोग होता है। इसी वजह से प्लास्टिक आसानी से नष्ट नहीं होती। कई बार लोग इसे नष्ट करने के लिए जलाने का भी प्रयास करते हैं, लेकिन यह वायु मंडल को प्रदूषित करता है। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ शुक्ल के मुताबिक पॉलीथिन पानी में गलती नहीं, बल्कि पानी में लंबे समय तक पड़े रहने अथवा भूमि में दबे रहने पर टूट कर छोटे-छोटे कणों में बिखर जाती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति में गिरावट होती है, जबकि जल भी प्रदूषित हो जाता है।

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औसतन रोजाना निकलती है 15 मीट्रिक टन पॉलीथिन

अकेले अयोध्या नगर निगम में रोजाना करीब सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है, जबकि इसका 15 फीसदी हिस्सा पॉलीथिन के रूप में रहता है। इसमें कैरीबैग व वस्तुओं की पै¨कग में इस्तेमाल होने वाली पॉलीथिन रहती है। हालांकि बीती 15 जुलाई से पॉलीथिन पर बैन लगने के बाद इसमें खासी कमी आई है। पूर्व के दिनों में कूड़ा स्थलों पर पॉलीथिन एकत्रित करने वालों की भीड़ भी रहती थी, लेकिन इस पर बैन लगने के बाद कमी आई है।

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निर्णय स्वागत योग्य

हास्यकवि ताराचंद तन्हा का कहना है कि प्रदेश सरकार का पॉलीथिन पर बैन लगाने का निर्णय स्वागत योग्य है। पॉलीथिन हर प्रकार से नुकसानद ह है। पॉलीथिन मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। साथ ही जल और वायु प्रदूषण का कारण भी बनती है। भूमि की उत्पादकता पर भी पॉलीथिन का नकारात्मक असर पड़ रहा था। इस पर प्रतिबंध लगने से जल और वायु में काफी शुद्धता आ सकेगी। भूमि की उत्पादकता भी बढ़ेगी।

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प्रतिबंध कड़ाई से लागू हो

बिड़ला धर्मशाला के प्रबंधक पवन ¨सह का कहना है कि पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगना ही चाहिए। यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचाती है। अब आवश्यकता यह है कि इस पर लगे प्रतिबंध को कड़ाई के साथ लागू किया जाए। इससे होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है। विक्रेता के साथ ही खरीदार को भी पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा।


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