अयोध्या [नवनीत श्रीवास्तव]। अयोध्या के निर्विवादित होने के बाद अब जहां जल्द ही रामजन्मभूमि के पाश्र्व में प्रवाहित उत्तरावाहिनी मां सरयू, आग्नेय कोण पर विराजमान हनुमानजी, अयोध्यावासी और श्रद्धावनत साधक अपने रामलला को भव्य भवन में विराजमान होते देखेंगे। वहीं, रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा 84 कोसी परिक्रमा पथ पर पडऩे वाले संस्कृति, संस्कार और अध्यात्म के केंद्रों के भी विकसित होने की उम्मीद जग गई है। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से बेहद संभावनाशील 84 कोसी परिक्रमा पथ पर भगवान राम व अनेक दिग्गज ऋषियों, मुनियों से जुड़े स्थल हैं।
ऋषि, मुनि भी ऐसे-ऐसे जिनका नाम लेने से ही मन पवित्रता के बोध भर जाता है। इन स्थानों से पर्यटक या तो अनभिज्ञ हैं या फिर वहां तक आसानी से पहुंच नहीं पाते। इन पौराणिक स्थलों को वैभवपूर्ण ढंग से विकास न केवल पर्यटन को नई ऊंचाइयां देगा, बल्कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा को भी नए सिरे से परिभाषित-प्रतिष्ठित करेगा।
अयोध्या की 84 कोसी सीमा में रामनगरी के साथ ही गोंडा, अंबेडकर व अयोध्या-बाराबंकी जिले की सीमा का कुछ हिस्सा आता है। साधु-संत व श्रद्धालुगण प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा से 84 कोसी परिक्रमा करते हैं।
इसकी शुरुआत मखभूमि से होती है। मखौड़ा वही स्थान हैं, जहां श्रृंगी ऋषि का आश्रम है। राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ भी मखभूमि पर ही किया था। बस्ती जिले में पडऩे वाले मखौड़ा धाम से आरंभ होने की 84 कोसी परिक्रमा अंबेडकरनगर, बाराबंकी, गोंडा होते हुए मखभूमि पर समाप्त होती है। करीब 20 दिनों तक चलने वाली परिक्रमा में पडऩे वाले स्थलों का विकास होने की उम्मीद जगी है।
सांसद ने उठाया था मुद्दा
सांसद लल्लू सिंह ने अयोध्या की 84 कोसी सीमा में पडऩे वाले धार्मिक एवं पौराणिक स्थलों को विकसित करने की मांग केंद्र एवं प्रदेश सरकार से की थी। उन्होंने इस मसले को संसद में उठाया था। उनका कहना है कि इन स्थलों के विकास के लिए प्रयास में और तेजी लाई जाएगी। सांसद ने बताया कि इन पौराणिक एवं धार्मिक स्थलों के विकास से पर्यटन में भी खासा इजाफा होगा।
मिल चुका है राजमार्ग का दर्जा
84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा मिल चुका है। पूर्व में यहां परियोजनाओं का शिलान्यास करने आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से सांसद लल्लू ङ्क्षसह ने यह मांग की थी। इसके बाद केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में स्वीकृति दे दी। गडकरी इस मार्ग का शिलान्यास कर चुके हैं।
पड़ते हैं ये अहम स्थल
रामनगरी की 84 कोस की परिधि में गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि व उनके गुरु नरहरि दास की कुटी पड़ती है। इसके साथ ही अष्टावक्र मुनि, जमदग्नि आश्रम, श्रृंगीऋषि आश्रम, आस्तीक ऋषि आश्रम, कपिलमुनि आश्रम, च्यवन मुनि आश्रम पड़ता है। मखभूमि, आश्रम, सूर्यकुंड, सीताकुंड, रामरेखा, जनमेजयकुंड आदि पौराणिक स्थल हैं। 84 कोसी मार्ग के आसपास ही ऋषि पराशर, गौतम, अगस्त, वामदेव आश्रम आदि अनेक ऐसे दिग्गज ऋषियों के आश्रम हैं, जिन्होंने संस्कार, संस्कृति और अध्यात्म का ज्ञान दिया। इसके साथ ही दशरथ समाधि स्थल, गौराघाट, दुग्धेश्वर कुंड, नंदीग्राम भरतकुंड, पिचाशमोचन कुंड, तपस्थली समेत जैसे श्रेष्ठ मुनियां की तपस्थलियां भी पड़ती हैं। सांसद लल्लू सिंह ने इन स्थलों को पर्यटन के केंद्र के तौर पर विकसित करने की मांग उठाई थी।
Posted By: Divyansh Rastogi
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