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पर्यावरणगुरु बनीं महिला पार्षद, चला रहीं क्लास

अयोध्या मंच पर माइक लेकर सियासी बातें करते जनप्रतिनिधि अक्सर देख जाते हैं पर स्कूल में चॉक लेकर बच्चों को पढ़ाते जनप्रतिनिधि का दिखना नामुमकिन है। अयोध्या नगरनिगम के देवकाली वार्ड की महिला पार्षद डॉ. नीलम सिंह ऐसी ही किरदार हैं जो इस असंभव को संभव बनाती हैं। वे अपने क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान दे रही है। उनकी ये मुहिम प्रचार-प्रसार से एकदम दूर है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 05:48 AM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 05:48 AM (IST)
पर्यावरणगुरु बनीं महिला पार्षद, चला रहीं क्लास

अयोध्या : मंच पर माइक लेकर सियासी बातें करते जनप्रतिनिधि अक्सर देख जाते हैं, पर स्कूल में चॉक लेकर बच्चों को पढ़ाते जनप्रतिनिधि का दिखना नामुमकिन है। अयोध्या नगरनिगम के देवकाली वार्ड की महिला पार्षद डॉ. नीलम सिंह ऐसी ही किरदार हैं, जो इस असंभव को संभव बनाती हैं। वे अपने क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान दे रही है। उनकी ये मुहिम प्रचार-प्रसार से एकदम दूर है। अवकाश और आकस्मात परिस्थितियों को छोड़ दिया जाए तो शायद ही उनकी क्लॉस कभी सूनी रहती हो। परिवारिक व सियासी जिम्मेदारियों को निभाने के साथ ही पर्यावरण के प्रति अपने दायित्व का बाखूबी निर्वहन कर रही हैं। पर्यावरण जागरूकता के लिए वे वार्ड के प्राथमिक विद्यालय में खुद बच्चों को पढ़ाती हैं। अयोध्या नगर निगम की पहली महिला पार्षदों की कतार में शामिल डॉ. नीलम की पहल अनूठी ही कही जाएगी। बच्चों के बीच डॉ. नीलम की पर्यावरणगुरु के रूप में पहचान बन चुकी हैं। ब्लैकबोर्ड पर अध्यापक की भांति वे चित्रों के माध्यम से बच्चों को इस बात का एहसास करा रही हैं कि पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। वे बच्चों से पौधरोपण भी कराती हैं। विद्यालय के अध्यापक उनके इस कार्य में पूरा सहयोग कर रहे हैं। डॉ. नीलम कहती हैं कि पर्यावरण के साथ उनका बचपन से ही लगाव रहा है, जिसे वे अब भी पूरी शिद्दत के साथ निभा रही हैं। ------------------------ काश! जिले में लागू हो जाए 'नीलम फार्मूला'

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-डॉ. नीलम की क्लॉस पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रोजेक्ट बन सकती है। पार्षद, प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधि इच्छाशक्ति दिखाते हुए एक-दो दिन ही अपने क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में क्लास शुरू करें तो अच्छी पहल हो सकती है। प्रशासन को 'नीलम फार्मूला' पर गौर करना चाहिए, ताकि पर्यावरण संरक्षण का सपना साकार करने में सफल योगदान हो सकें।


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