20 साल से मनमानी, अवैध कब्जा और पराग को चपत भी
मिल्क बूथ पर अवैध रेस्टोरेंट पराग ब्रांड के अलावा अन्य उत्पादों की बिक्री.पराग डेयरी के जीएम व मिल्क बार के नाम पर अवैध रेस्टोरेंट संचालक के बीच विवाद यूं ही नहीं हुआ.
अयोध्या : पराग डेयरी के जीएम व मिल्क बार के नाम पर अवैध रेस्टोरेंट संचालक के बीच विवाद यूं ही नहीं हुआ। भले ही तात्कालिक मामला महाप्रबंधक के मना करने के बावजूद कोरोना महामारी में बेखौफ रेस्टोरेंट संचालित करने को लेकर बिगड़ा लेकिन इसके पीछे बूथ संचालक की मनमानी, अवैध कब्जा व पराग उत्पादों के अतिरिक्त अन्य उत्पादों की बिक्री करते रहना भी वजह बना। अलग-अलग महाप्रबंधकों के कार्यकाल में संचालक को दिए गए दर्जनों पत्र विवाद की कहानी खुद ब खुद बयां करते हैं।
1999 से ही पराग मिल्क बूथ संचालक गोपाल जायसवाल ने मनमानी शुरू की तो मामूली अर्थदंड लगा। बाद में धीरे-धीरे पराग मिल्क बार के अतिरिक्त यहीं की जमीन पर ही अवैध रेस्टोरेंट चलाना शुरू कर दिया। वर्ष 2015 में डेयरी के सामान्य प्रबंधक एसएन शर्मा व वर्ष 2011 में तत्कालीन जीएम इंद्र भूषण सिंह ने संचालक को सख्त पत्र लिखकर चेतावनी दी थी। आगे भी डेयरी प्रबंधन व संचालक के बीच समय-समय पर तल्खी बढ़ती रही।
बार-बार पराग प्रबंधन ने संचालक को बताने की कोशिश की कि यहां पराग उत्पाद के अतिरिक्त अन्य उत्पाद न बेचा जाए। बावजूद इसके पराग की जमीन पर अवैध कब्जा, निर्माण होता रहा। इसको लेकर भी संचालक कटघरे में रहा। इसी वजह से संचालक को अनुबंध समाप्त करने की चेतावनी दी जाती रही, लेकिन इसका असर संचालक पर नहीं हुआ। इस बीच पीडब्ल्यूडी की जमीन पर कब्जे का मामला सामने आया। दूसरी ओर हिदायत के बाद भी बूथ पर पराग के दूध, पनीर, खोया, मट्ठा सहित अन्य उत्पादों के अतिरिक्त सफल मटर, पकौड़ी चाऊमीन, बर्गर पराठा दाल ,चावल रोटी, सब्जी, नमकीन, बिस्कुट बिकते रहे। साथ अन्य दुग्ध उत्पाद जैसे पनीर, दही, खोया, खीर, पेड़ा, घी इत्यादि बाहर से लेकर पराग के बूथ पर बेच कर आर्थिक रूप से पराग को चपत लगाई गई। मार्च में दुग्ध संघ के प्रभारी ने संचालक को कड़ी चेतावनी दी और इसे नियम विरुद्ध बताया औऱ जवाब तलब किया। मिल्कबार आवंटन निरस्त करने को फिर चेताया।
बूथ संचालक की करतूत से आजिज आकर गत मार्च महीने में ही जीएम कन्हैया यादव ने पुलिस प्रशासन को पत्र लिखकर मिल्क बार के सामने हुए अवैध कब्जे को व अन्य सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने की गुहार लगाई। डेयरी प्रशासन ने संचालक को सूक्ष्म जलपान की बिक्री की अनुमति दी थी लेकिन संचालक ने पूरा रेस्टोरेंट चलाना शुरू कर दिया। ताजा प्रकरण में गत गुरुवार को बंदी के बावजूद जीएम को यहां रेस्टोरेंट चलता मिला। लोग जमा रहे। महामारी के मद्देनजर रेस्टोरेंट को बंद कराने की कोशिश हुई तो जीएम पर संचालक समर्थक हमलावर हो गए। बाद में जीएम की तहरीर पर अयोध्या कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ। महाप्रबंधक कन्हैया यादव ने बताया कि संचालक का मिल्क बार अनुबंध निरस्त कर दिया गया है। प्रशासन की मदद से अवैध कब्जे को हटाने की कार्रवाई की जा रही है।