Move to Jagran APP

एक गांव के तीन युवकों की मौत से मातम का साया

मिल्कीपुर (फैजाबाद) : इनायतनगर थाना क्षेत्र के ग्रामसभा पलियामाफी के तीन युवकों की ग्रेटर नोए

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 12:17 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 12:17 AM (IST)
एक गांव के तीन युवकों की मौत से मातम का साया
एक गांव के तीन युवकों की मौत से मातम का साया

मिल्कीपुर (फैजाबाद) : इनायतनगर थाना क्षेत्र के ग्रामसभा पलियामाफी के तीन युवकों की ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में बीते मंगलवार की रात निर्माणाधीन भवन के मलबे में दबने से मौत की खबर से पूरे गांव में मातम छाया है। शुक्रवार की सुबह जब तीनों का शव गांव पहुंचा तो हर कोई गम में डूब गया। तीनों शव एकसाथ गांव के कब्रिस्तान में दफनाए गए तो हर किसी की आंखें नम हो उठीं।

loksabha election banner

पलियामाफी निवासी सगे भाई नौशाद (30) और शमशाद (24) तथा मोबीन उर्फ सोनू (26) बीते चार जुलाई को रोजगार की तलाश में ग्रेटर नोएडा गए थे। वहां शाहबेरी गांव में निर्माणाधीन बि¨ल्डग में रंगाई-पुताई का काम मिल गया। बीते मंगलवार की रात निर्माणाधीन बि¨ल्डग गिर गई और तीनों दब गए। प्रशासन ने मलबे को हटाकर फंसे लोगों को निकाला तो तीनों मृत पाए गए, जिसकी सूचना रिश्तेदारों ने घरवालों को दी। सूचना पर परिवारीजन नोएडा के लिए रवाना हुए। शुक्रवार की सुबह तीनों युवकों का शव गांव पहुंचा तो कोहराम मच गया। मृत नौशाद और शमशाद के पिता मुख्तार ने बताया कि शमशाद और उसकी बहन की शादी नवंबर में होनी थी लेकिन करीब एक माह पूर्व पत्नी की मौत और अब दोनों बेटों की मौत ने सब कुछ छीन लिया। अब एक बेटा इरशाद बचा है जो सऊदी में काम करता है। मोहम्मद नसरीम ने बताया कि उनके 26 वर्षीय बेटे सोनू शादी की तैयारी के लिए ही धन कमाने नोएडा गया हुआ था, लेकिन अल्लाह को कुछ और ही मंजूर था। युवकों के आकस्मिक निधन की खबर पाकर शुक्रवार को पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद व जिला पंचायत सदस्य साहबलाल यादव पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारीजनों को सांत्वना देते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया। -अब्बा आप ¨चता न करना..

मिल्कीपुर : परिवार के भरण पोषण का सपना संजोकर करीब 700 किलोमीटर दूर ग्रेटर नोएडा गए तीनों युवकों को शायद यह नहीं मालूम था कि जिस निर्माणाधीन मकान को वह दूसरों के लिए सजा संवार रहे हैं, वहीं उनकी मौत का इंतजार कर रही 'अब्बा आप ¨चता न करना..' रह-रहकर मुख्तार के कानों में गूंज रहे हैं। दोनों बेटों की मौत का गम किसी पहाड़ से कम नहीं है। उसका बस यही कहना है कि अल्लाह मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो इतना बड़ा दुख मुझे मिला। गांव के मोहम्मद नसरीम भी बेटे की मौत से काफी गमजदा है। बार बार वह यही कहते हैं कि ऊपरवाला किसी को इतना बड़ा गम ना दे उससे उसका सहारा न छीने। गांव वाले भी गांव के तीन युवकों की मौत से काफी दुखी हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.