लोकभाषाओं का संरक्षण करना होगा
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का लोकभावन चरित्र अब कला के साथ साथ संस्कारों के संरक्षण का भी माध्यम बनेगा।
अयोध्या: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का लोकभावन चरित्र अब कला के साथ साथ संस्कारों के संरक्षण का भी माध्यम बनेगा। वाह वाह रामजी टाक शो के माध्यम से यह पहल बालीवुड के प्रख्यात पटकथा व संवाद लेखक दिलीप शुक्ल कर रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत में शुक्ल ने कहा कि टॉक शो की थीम ही प्रभु राम होंगे। इसको लेकर शासन व स्थानीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। बॉलीवुड में घायल व दामिनी जैसी दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों में पटकथा व संवाद लिखने वाले शुक्ल ने अयोध्या को लेकर प्रस्तावित कार्ययोजना की चर्चा की। बताया कि टॉक शो को दूरदर्शन के माध्यम से आवाम तक पहुंचाने की योजना है ताकि लोगों को पुन: संस्कारों व सामाजिक सरोकारों से संजीदगी से जोड़ा जा सके। इसके लिए स्थानीय स्तर पर रिकार्डिंग व साजसज्जा की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए भगवान राम पर विशिष्ट शोध व अन्य कार्य करने वाले साहित्यकारों से भी सहयोग लिया जाएगा। इस आयोजन से स्थानीय कलाकारों व युवाओं को भी जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें अवसर मिले तथा सांस्कृतिक चितन की मूलभावना को लोगों तक पहुंचाया जा सके। शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति सुरक्षा दल बनाया जाएगा। इस पर राज्यवार काम हो रहा है। उन्होंने लोककलाओं व भोजपुरी जैसी लोकभाषाओं के संरक्षण के लिए कार्य करने की आवश्यकता व प्रतिबद्धता दोहराई। प्रेमचंद के साहित्य से मिली लेखन की प्ररेणा
अयोध्या: जिला रायबरेली के गांव दलीपुर में जन्मे दिलीप शुक्ल का बालीवुड में खास मुकाम है। वह कहते हैं कि लेखन की प्रेरणा प्रेमचंद की कहानी मंत्र से मिली। इसके बाद इस ओर रुझान बढ़ता गया।15 वर्ष की उम्र में कहानी मंत्र का मंचन किया व लेखन भावना के जोर पकड़ने पर मुबई की राह पकड़ी।1989 में फिल्म घायल के संवाद लिखे। इसके बाद दामिनी, अंदाज अपना अपना, मोहरा, सलाखें, ऐलान, किस्मत, इंसाफ, बेदर्दी, अंत, दिव्य शक्ति तथा दबंग की सीरिज सहित दर्जन भर से अधिक फिल्मों में संवाद व पटकथा लिखी। वह डायलॉग लेखन के लिए गिल्ड एवार्ड, पटकथा लेखन लिए जी सिने तथा आइफा पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं।