मित्र बैक्टीरिया को लेकर कृषि विवि ने किया करार
रसायन विहीन तथा मित्र वैक्टीरिया की मदद से फसलों में कीट रोग प्रबंधन के साथ साथ पौधों की वृद्धि पर कार्य करेगा। इसी विधा से मिलने वाले लाभ पर शोध कार्य के लिए केंद्र सरकार के संस्थान सीएसआइआर व एनबीआरआइ के साथ अनुबंध किया है। इसे अंमाज दिया है कि नवागत निदेशक शोध डॉ. एसके शुक्ला ने कार्यभार ग्रहण करने के दूसरे दिन ही एन बीआरआइ में संबंधित परियोजना की मुख्य अन्वेषक तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अराधना मिश्र के साथ अनुबंध हस्ताक्षर किया और शर्तों का आदानप्रदान किया। इस परियोजना के कार्यरूप लेने के बाद स्वस्थ भारत अभिया
अयोध्या : नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय का शोध निदेशक अब रसायनविहीन तथा मित्र बैक्टीरिया की मदद से फसलों में कीट, रोग प्रबंधन के साथ पौधों की वृद्धि पर कार्य करेगा। इसी विधा से मिलने वाले लाभ पर शोध कार्य के लिए केंद्र सरकार के संस्थान सीएसआइआर व एनबीआरआइ के साथ अनुबंध किया है।
नवागत निदेशक शोध डॉ. एसके शुक्ल ने कार्यभार ग्रहण करने के दूसरे दिन एनबीआरआइ में संबंधित परियोजना की मुख्य अन्वेषक तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अराधना मिश्र के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किया और शर्तों का आदान-प्रदान किया। परियोजना के कार्यरूप लेने के बाद स्वस्थ भारत अभियान को मजबूत करने में कृषि विवि के हस्तक्षेप में बढ़ोत्तरी संभव हो सकेगी। निदेशक शोध डॉ. शुक्ल के अनुसार जीवाणुओं व विषाणुओं के कारण देश में तमाम नकदी व परंपरागत फसलें रोग ग्रस्त होकर अपनी उत्पादकता खो बैठती हैं। हमारे किसानों को आर्थिक हानि होती है। उन्होंने बताया कि टमाटर में झुलसा जैसे रोग आ जाने पर प्रतिवर्ष 25 से 30 प्रतिशत तक की उत्पादन में कमी आती है। झुलसा रोग से उपचार व रोकथाम के लिए प्रयुक्त रसायन का प्रतिकूल प्रभाव होता है। इस मौके पर वैज्ञानिक डॉ. सैयद फजल, अब्बास जैदी, डॉ. राजकुमार पाठक अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे।