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गनिका अजामिल ब्याध गीध गजादि खल तारे घना

अयोध्या : शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू रामकथा का प्रवचन ही नहीं करते, उसे जीते भी हैं। यह हकीकत बड़ा भक्तमाल मंदिर के परिसर में बयां हुई। नौ दिवसीय रामकथा की शुरुआत करते हुए बापू ने कथा सत्र रामकथा से सबको तारने के आदर्श के अनुरूप गणिकाओं के लिए समर्पित कि

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 10:47 PM (IST)
गनिका अजामिल ब्याध गीध गजादि खल तारे घना

अयोध्या : शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू रामकथा का प्रवचन ही नहीं करते, उसे जीते भी हैं। यह हकीकत बड़ा भक्तमाल मंदिर के परिसर में बयां हुई। नौ दिवसीय रामकथा की शुरुआत करते हुए बापू ने कथा सत्र रामकथा से सबको तारने के आदर्श के अनुरूप गणिकाओं के लिए समर्पित किया। कथा का क्रम आगे बढ़ाने से पूर्व बापू ने पूरी शास्त्रीयता से रामकथा के लिए गणिकाओं की पात्रता परिभाषित की। गणिकाओं की ओर इशारा करते हुए बापू ने कहा, यह लोग तो किसी कारण से मात्र शरीर बेचते हैं पर जो लोग गोत्र बेचते हैं, उनका क्या। बापू ने स्पष्ट किया कि गोत्र से मेरा आशय वह प्रवाही परंपरा है, जहां से गोत्र मिला। बापू ने पुन: गणिकाओं की ओर केंद्रित होकर कहा, वे गणिकाएं हैं और किसी कारण से हैं। हमें इस कारण में नहीं जाना है पर यह कोशिश जरूर करनी है कि यहां उनका प्रायश्चित हो जाय। इसी के साथ ही बापू ने मौजूदा रामकथा सत्र की संवाही पंक्तियों को पूरे राग और लय से प्रस्तुत किया, पाई न के¨ह गति पतित पावन/ रामभजि सुन सठ मना/ गनिका अजामिल ब्याध गीध/ गजादि खल तारे घना। उन्होंने मानस गणिका के लिए अयोध्या का चयन करने का औचित्य प्रतिपादित किया। कहा, जो तारने वाली भूमि है, वहां गणिकाओं के लिए न आएं तो जाएं कहां। अपनी बात स्पष्ट करने के लिए बापू ने स्वामी विवेकानंद के जीवन प्रसंग का भी मार्मिक विवेचन किया, जब विवेकानंद गणिका के गाए गीत से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें गणिका से दुराव की चूक का एहसास हुआ। कहा अद्वैत के उपासक संन्यासी और सीय राममय सब जग जानी के अनुरागी मानस के उपासकों के लिए भेद कैसा। बापू ने कहा, हम अयोध्या की भूमि पर गणिकाओं के साथ सीय राममय होने आए हैं। अपना रुख स्पष्ट करते हुए बापू ने कहा, जो मरीज अत्यंत बीमार है और वैद्य के पास नहीं जा सकता, उसके लिए वैद्य का कर्तव्य बनता है कि वह उसके पास जाए और कम से कम मीठे बोल बोले। बापू ने कहा, मुझे अयोध्या पर भरोसा है यह ठाकुर की भूमि है और सबको तारने की ताकत रखती है। राम पतित पावन हैं, चरित पावन हैं, ललित पावन हैं, वंचित पावन हैं और दलित पावन भी हैं। 'राम शाश्वत हैं'

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- भगवान राम की ऐतिहासिकता से जुड़े सवाल का जिक्र करते हुए बापू ने कहा, राम केवल ऐतिहासिक नहीं आध्यात्मिक भी हैं, वे शाश्वत हैं और मानस में उनके बारे में कहा गया है कि आदि अंत कोउ जासु न पावा।

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ओशो का पूरे सम्मान से किया जिक्र

- बापू ने प्रवचन के दौरान परंपरागत सनातनियों के बीच सामान्य तौर पर अछूत माने जाते रहे चर्चित दार्शनिक एवं द्रष्टा ओशो का जिक्र भी पूरे सम्मान से किया। कहा, ओशो ने कहा था कि यह प्रवचन नहीं पूरी दुनिया को निमंत्रण है और मेरा भी प्रवचन पूरी दुनिया को निमंत्रित करने के साथ है।

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ऐसो को उदार जग माहीं..

- बापू ने गणिकाओं के संदर्भ में कहा, हमारा अभियान उन्हें सुधारने नहीं स्वीकारने का है और इस अभियान में साधु-संतों का भी सहयोग मिलेगा। साधु-संत तो उन राम के अनुयायी हैं, जिनके बारे में कहा जाता है, ऐसो को उदार जग माहीं।

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संतों के प्रति अर्पित किया अनुराग

- मोरारी बापू ने संतों के प्रति अनुराग अर्पित किया। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास का आदरपूर्वक जिक्र कर उन्होंने बार-बार उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित किया। कथा सत्र में मौजूद अन्य संतों सहित न मौजूद रहने वाले संतों को भी उन्होंने प्रणाम किया। कथा सत्र का उद्घाटन भी बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेशदास एवं रामकुंज के महंत रामानंददास के रूप में दो स्थानीय महंतों ने किया।

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बापू की कथा के लिए उमड़ी संतों की पांत

- गणिकाओं के प्रति समर्पित रामकथा को लेकर ¨कचित विरोध की आहट के विपरीत बापू की कथा के लिए रामनगरी की नुमाइंदगी करने वाले संतों की पूरी पांत उमड़ी। इनमें महंत नृत्यगोपालदास सहित रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, रंगमहल के महंत रामशरणदास, निष्काम सेवा ट्रस्ट के व्यवस्थापक महंत रामचंद्रदास, तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, रामकचेहरी मंदिर के महंत शशिकांतदास, श्यामासदन के महंत संतगोपालदास, जगन्नाथ मंदिर के महंत राघवदास, डांडिया मंदिर के महंत गिरीशदास, मधुकरी संत मिथिलाबहारीदास आदि प्रमुख रहे। महंत अवधेशदास एवं महंत रामदास सरीखे महंतों ने तो बापू के प्रयास को अत्यंत मार्मिक और प्रेरक बताया और कहा, रामकथा का अभीष्ट कुछ ऐसा ही है।

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'बापू और उनके इष्ट संपूर्ण मानवता के'

- बापू की कथा श्रवण का लोभ मशहूर समाजसेवी डॉ. निहाल रजा भी संवरण नहीं कर सके। उन्होंने बापू और उनके इष्ट राम को संपूर्ण मानवता की आस्था का केंद्र बताया। खचाखच भरे विशाल पंडाल में मंडलायुक्त मनोज कुमार मिश्र एवं विधायक वेदप्रकाश गुप्त भी समर्पित श्रोता के रूप में मौजूद रहे। विधायक ने बापू का अभिनंदन भी किया।


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