बापू ने तीसरे दिन भी जतन से गढ़ी मानस-गणिका
स्वयं उसके प्रासाद आए और उसकी परीक्षा से प्रसन्न हुए। महानंदा का किरदार रोशन करते हुए बापू ने तुषार शुक्र की पंक्तियों पर अलाप छेड़कर महानंदा की मार्मिकता विवेचित की और समां बांधा। मैं गणिका तुम ठाकुर मेरे.. जैसे बोल पर बापू ने ऊपर वाले से संवाद स्थापित किया।
अयोध्या : बड़ा भक्तमाल परिसर में नौ दिवसीय रामकथा के तीसरे दिन भी शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू पूरे जतन से मानस-गणिका गढ़ते रहे। उन्होंने सोमवार को कथा की शुरुआत रामचरितमानस की उन प्रतिनिधि पंक्तियों के गायन से की, जिसमें वंचितों-पतितों के प्रति भगवान राम की करुणा का वास्ता होता है। गायन पर विराम लगाने के साथ बापू इन पंक्तियों का विवेचन शुरू करते हैं। वे विश्वास दिलाते हुए कहते हैं, बहन- बेटियां स्वयं को मायूस न समझें। उपेक्षा और ¨नदा के भाव को नादानी बताते हुए बापू ने कहा, जिसे बोध है, उसके जीवन में विरोध हो ही नहीं सकता। रामचरितमानस के वंदना प्रसंग की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए बापू ने शिव का जिक्र किया और कहा, जो बोधमय होता है, वह शिव की तरह वक्री चंद्रमा को भी अपने भाल पर चढ़ाएगा। उसके लिए सारे भेद मिट जाते हैं। आध्यात्मिक सूत्र निरूपित करते हुए बापू यह यकीन भी दिलाते हैं, तुम्हारे साथ कोई हो न हो शिव जरूर होगा। बापू ने मध्यकालीन प्रख्यात सूफी संत एवं शायर जलालुद्दीन रूमी और उनके गुरु के संवाद को भी विषय बनाया और कहा, दूसरी की ओर देखने की बजाय हमें स्वयं की ओर और परमात्मा की तरफ देखना चाहिए।
---------------------------इनसेट-------------
वचन की पक्की और शिवभक्त महानंदा
- बापू ने कथा के क्रम में गणिका महानंदा का ²ष्टांत दिया, जो अ¨नद्य सुंदरी होने के साथ शिवभक्त और वचन की पक्की थीं। महानंदा के इस गुण की परीक्षा लेने शिव स्वयं उसके प्रासाद आए और उसकी परीक्षा से प्रसन्न हुए। महानंदा का किरदार रोशन करते हुए बापू ने तुषार शुक्र की पंक्तियों पर अलाप छेड़कर महानंदा की मार्मिकता विवेचित की और समां बांधा। मैं गणिका तुम ठाकुर मेरे.. जैसे बोल पर बापू ने ऊपर वाले से संवाद स्थापित किया।
-------------------
उनका जो काम है वो अहले सियासत जानें..
- गणिकाओं को रामकथा की गंगा के साथ मुख्यधारा से जोड़ने की मुहिम के प्रयासों में मीन-मेख निकालने वालों को बापू ने जिगर मुरादाबादी की भाषा में जवाब दिया, उनका जो काम है वो अहले सियासत जानें/ अपना पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे।
--------------------
एक ग्रंथ-एक इष्ट में हो निष्ठा
- बापू ने भागवत पुराण की प्रामाणिकता देते हुए कहा, बार-बार बदलने वाली निष्ठा और आस्था व्यक्ति को कमजोर कर देती है, एक ग्रंथ-एक इष्ट-एक बुद्ध में निष्ठा होनी चाहिए। इससे आखीर में भजन इष्ट हो जाता है, जिसे तुलसीदास ने मानस में कहा है, सत हरिभजन जगत सब सपना।
-----------------------------
काठियावाड़ी रास की उठी हिलोर
- कथा के पंडाल में काठियावाड़ी रास की हिलोर भी उठी। काठियावाड़ी संगीत-समर्पण-प्रार्थना-प्रतिबद्धता की भव्यता का मनोहारी गवाह बना। पंडाल में हजारों लोग अपने-अपने स्थल से थिरक रहे थे और बापू व्यासपीठ से गीत प्रवाहित कर रहे थे।
------------------
राम के रूप में दुनिया का बाप किसी का बेटा बना
- राम के ब्रह्मत्व की मीमांसा करते हुए बापू ने कहा, राम के रूप में दुनिया का बाप किसी का बेटा बना है। तत्वत: वह निराकार है पर भक्त की आकांक्षा के अनुसार स्वरूप ग्रहण करता है।
---------------------
समूह खेती-समूह श्रम
- बापू ने आह्वान किया, रामकथा की तरह समाज को जोड़ने का काम करें। धर्म जोड़ता है। जुड़ने के सवाल पर वे आचार्य विनोबा की समूह-खेती, समूह-श्रम की अवधारणा का स्वप्न भी जगा गए।
------------------
मैं कथा का एक भी पैसा नहीं लेता
- बापू शायद उन आरोपों से आहत थे, जो रामकथा सत्र गणिकाओं को समर्पित करने के विरोध में सामने आए। बापू ने कहा, मैं कथा का एक भी पैसा नहीं लेता और यदि लूं तो मैं स्वयं गणिका।
-------------------------------
24 घंटे के भीतर फंड में दो करोड़ रुपये आए
- बापू ने शोषिता-पीड़िता कल्याण के लिए 11 लाख की सहायता के साथ रविवार को जिस फंड की शुरुआत की थी, सोमवार को पूर्वाह्न तक उसमें करीब दो करोड़ रुपये आ गए। कथा के यजमान शिव बाबू परिवार और मनोज मोदी फाउंडेशन की ओर से 51-51 लाख की सहायता का एलान किया गया। पांच दानदाताओं ने 11-11 लाख की राशि देने की घोषणा की।