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बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए इच्छाशक्ति का अभाव

यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन को रोकने के लिए विभागों के पास इच्छाशक्ति का अभाव है। जब तक शीर्ष अधिकारियों का दिशा निर्देश नहीं प्राप्त होता तब तक यातायात व्यवस्था सुधारने के जिम्मेदार अफसरों के पास समय नहीं होता। यहीं नहीं पुलिस विभाग संसाधनों से युक्त है तो परिवहन विभाग संसाधन विहीन। ऐसे में बेहतर यातायात व्यवस्था बनाना और उल्लंघन पर प्रभावी अंकुश की कल्पना बेमानी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 11:22 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 11:22 PM (IST)
बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए इच्छाशक्ति का अभाव

अयोध्या: यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन को रोकने के लिए विभागों के पास इच्छाशक्ति का अभाव है। जब तक शीर्ष अधिकारियों का दिशा निर्देश नहीं प्राप्त होता, तब तक यातायात व्यवस्था सुधारने के जिम्मेदार अफसरों के पास समय नहीं होता। यहीं नहीं पुलिस विभाग संसाधनों से युक्त है तो परिवहन विभाग संसाधन विहीन। ऐसे में बेहतर यातायात व्यवस्था बनाना और उल्लंघन पर प्रभावी अंकुश की कल्पना बेमानी है।

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पुलिस विभाग के पास यातायात व्यवस्था को सुधारने का पूरा इंतजाम होने के साथ ही कर्मियों की भी बड़ी संख्या है। यातायात पुलिस का पुलिस लाइन में ऑफिस है। सीओ सिटी के पास यातायात क्षेत्राधिकारी का प्रभार। यातायात व्यवस्था को दुरुस्त न कर विभाग केवल चालान पर केंद्रित है। कभी मास्क को लेकर तो कभी हेल्मेट व सीट बेल्ट न होने पर। यातायात माह भी पुलिस ने जैसे-तैसे निपटा दिया। अब तक कोई ऐसा प्रयास नहीं किया गया, जिसका असर बिगड़ी यातायात व्यवस्था में सुधार के रूप में दिखाई दे। नो पार्किंग में वाहनों का रेला है। अतिक्रमण से कलेक्ट्रेट से तकरीबन 100 मीटर तक दोनों तरफ वाहन रेंगते हैं। न्यायिक, प्रशासनिक व आइजी का आवास भी इसी पर है। पार्किंग की मुकम्मल व्यवस्था न होना शहर का दुर्भाग्य है। जाम से शहर ही नहीं रामनगरी तक कराह रही है।

परिवहन विभाग की बात की जाए तो वह अपने में ही परेशान है। प्रवर्तन इकाई में तीन प्रमुख अधिकारियों की कुर्सी खाली है। एआरटीओ, पीटीओ और आरआइ का एक-एक पद रिक्त है। अधिकारियों के साथ संसाधनों का अभाव इस विभाग का सबसे बड़ी समस्या है। वर्ष में चार बार सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है, लेकिन तस्वीर जस की तस बनी रहती है। संभागीय परिवहन दफ्तर में सारी व्यवस्था ऑनलाइन होने के बाद भी ओवरलोडिग व प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश नहीं लगाया जा सका। प्रदूषण प्रमाण पत्र होने के बाद भी तमाम वाहन काला धुआं उगल रहे हैं। परिवहन निगम की बस या व्यवसायिक, या फकर निजी वाहन। मौके पर जांच की कोई व्यवस्था विभाग के पास नहीं है। वाहन में लाख कमी हो, लेकिन कागज से मजबूत हैं तो विभाग किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं कर सकता।

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क्या बोले जिम्मेदार.......

'हम बेहतर यातायात के लिए हर स्तर से प्रयास करते है। वाहनों की निरंतर चेकिग की जाती है और कमी मिलने पर कार्रवाई भी। कोविड-19 को लेकर जारी निर्देशों के तहत सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत जागरूकता के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए।अधिकारियों के कमी की बात तो उनकी तैनाती शासन का क्षेत्राधिकार है।

- नंदकुमार, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन)'

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'ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए यातायात पुलिस अपना कार्य बखूबी करती आ रही है। शहर के सभी चौराहों पर यातायात पुलिस ही ट्राफिक व्यवस्था को संभालती है, इसके अलावा बेहतर यातायात व्यवस्था के लिए जो भी दिशा निर्देश अधिकारियों से प्राप्त होता है, उसका पालन कराया जाता है।

- प्रमोद कुमार लहरी, यातायात उपनिरीक्षक, पुलिस विभाग'


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