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Ayodhya: सीता-राम विवाहोत्सव को दिल खोलकर तैयार है रामनगरी, आज आप भी बनें शादी के गवाह; ये है पूरा शेड्यूल

सीता-राम विवाहोत्सव के उपलक्ष्य में रामनगरी दिल खोलकर तैयार हो गई है। सोमवार को दिन ढलने के साथ कनक भवन दशरथ महल बड़ास्थान जानकी महल रंगमहल हनुमत निवास विअहुति भवन आदि मंदिरों से राम बरात प्रस्थान करेगी। सामान्य बरात से कहीं अधिक शानो-शौकत से राम बरात की याद ताजा होगी।

By Jagran NewsEdited By: Vrinda SrivastavaPublished: Mon, 28 Nov 2022 09:39 AM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 09:39 AM (IST)
Ayodhya: सीता-राम विवाहोत्सव को दिल खोलकर तैयार है रामनगरी, आज आप भी बनें शादी के गवाह; ये है पूरा शेड्यूल
सीता-राम विवाहोत्सव को दिल खोलकर तैयार है रामनगरी।

अयोध्या, जागरण संवाददाता। सीताराम विवाहोत्सव के स्वागत में रामनगरी दिल खोल कर तैयार है। गत सप्ताह से ही रामनगरी इस विवाहोत्सव की तैयारी में रमी हुई है। किसी मंदिर में नौ दिवसीय तो किसी मंदिर में सात दिवसीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक उत्सव से आराध्य-आराध्या के प्रति आस्था प्रवाहमान है। अनेक मंदिरों में श्रीराम के चरित्र तथा सीताराम विवाह पर केंद्रित लीला की प्रस्तुति सहित कथा-प्रवचन की रसधार बह रही है।

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जनक-जानकी की नगरी मिथिला की संस्कृति के आधार पर अवध में विवाह की रस्में भी संपादित की जा रही हैं। सोमवार को दिन ढलने के साथ कनक भवन, दशरथ महल बड़ास्थान, जानकी महल, रंगमहल, हनुमत निवास, विअहुति भवन आदि मंदिरों से राम बरात प्रस्थान करेगी। बरात में किसी सामान्य बरात से कहीं अधिक शानो-शौकत से राम बरात की याद ताजा की जा रही होगी।

दशरथ महल से निकलने वाली बरात अपनी विरासत के अनुरूप राजसी वैभव से युक्त होगी। अन्य मंदिरों से निकलने वाली बरात भी यथा शक्ति-तथा भक्ति परिभाषित करने वाली होगी। जानकी महल की बरात में एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। यह श्रद्धालु देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे हुए हैं। जानकी महल में विवाहोत्सव की रस्म के हिसाब से शुक्रवार को गौरी गणेश पूजन के साथ विवाहोत्सव की शुरुआत रविवार की शाम तक शीर्ष की ओर बढ़ रही हाेती है। श्रद्धालु विवाह की पूर्व संध्या पर आयोजित किए जाने वाले हल्दी और तिलक की रस्म निभाते नजर आते हैं।

जहां अन्य प्रमुख मंदिरों से निकलने वाली बरात वापस उसी मंदिर पर पहुंचेगी, वहीं हनुमत निवास से निकलने वाली बरात लक्ष्मण किला वापस पहुंचेगी। लक्ष्मण किला में जनक की नगरी की तरह रामबरात के पूर्ण स्वागत की तैयारी की गयी है। लक्ष्मण किला के आचार्यों के लिए यह उत्सव मात्र रस्म या अतीत का स्मरण ही नहीं था, बल्कि गहन अनुष्ठान का विषय था। रामनगरी के अनेक मंदिरों में यह उत्सव गहन अनुष्ठान की तरह ही मनाया जाता है।


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