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रामलला के दर्शनार्थियों को राम रसोई में मिलता है निश्शुल्क भोजन

अमावा राम मंदिर में गत वर्ष एक दिसंबर से ही संचालित है रामलला के दर्शनार्थियों की रसोई

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 11:18 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 11:18 PM (IST)
रामलला के दर्शनार्थियों को राम रसोई में मिलता है निश्शुल्क भोजन
रामलला के दर्शनार्थियों को राम रसोई में मिलता है निश्शुल्क भोजन

अयोध्या : रामजन्मभूमि के बगल ही स्थित अमावा राम मंदिर में रामलला के दर्शनार्थियों के लिए मुफ्त भोजन मिलता है। इस रसोई में रामलला के दर्शनार्थी बगैर किसी भेदभाव के स्वादिष्ट भोजन कर सकते हैं। गत वर्ष एक दिसंबर से यह रसोई पटना के महावीर सेवा ट्रस्ट की ओर से संचालित है।

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इसी वर्ष मार्च में कोरोना संक्रमण का संकट शुरू होने से पूर्व राम रसोई में प्रतिदिन औसतन पांच हजार श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते थे। ..तो कोरोना संकट शुरू होने के बाद से रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या में तेजी से कमी आयी। इसके बावजूद राम रसोई चलती रही। यदि इक्का-दुक्का दर्शनार्थी भी आये, तो उन्हें अमावा राम मंदिर में पूरे चाव से भोजन कराया गया। इसी वर्ष पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया और इसी के साथ ही रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या में नित्य वृद्धि हो रही है। आज प्रतिदिन रामलला के दर्शनार्थियों की संख्या हजारों में जा पहुंची है और इनमें से अधिकांश दूर-दराज के होते हैं, जिनके लिए रामलला का दर्शन कर लौटते हुए लगे हाथ स्वादिष्ट भोजन मिलना किसी सौगात से कम नहीं होता।

इस महती प्रकल्प का संयोजन कर रहे पूर्व आइपीएस अधिकारी एवं पटना स्थित सुप्रसिद्ध महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार राम रसोई में मिलने वाला प्रसाद अनेक व्यंजनों से युक्त स्वादिष्ट भोजन के रूप में सुनिश्चित किया गया है। इसके लिए विशेष रूप से खुशबूदार और लजीज गोविद भोग चावल बिहार से आयात किया जा रहा है।

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आचार्य कुणाल का रामलला से है गहन सरोकार

रामलला के दर्शन मार्ग पर ही स्थित अमावा राम मंदिर त्रेता में सूर्यवंशीय राज परिवार का देवालय था। आचार्य कुणाल इस विरासत को नए सिरे से सहेज रहे हैं। उन्होंने रामलला के पक्ष में गत वर्ष सुप्रीम फैसला आने से पूर्व अमावा मंदिर के मुहाने पर भगवान राम के बाल विग्रह की स्थापना कराई है, जिसे दूर से ही देखा जा सकता है। आचार्य कुणाल राम मंदिर के पक्षकार भी रहे हैं। सुप्रीम फैसला सुनिश्चित करने में अयोध्या विवाद के इतिहास पर केंद्रित उनकी कृति 'अयोध्या रिविजिटेड' की भी अहम भूमिका रही है। उन्होंने महावीर मंदिर ट्रस्ट की ओर से रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए पांच वर्षों में 10 करोड़ की राशि देने की घोषणा की है। इसकी पहली किश्त यानी दो करोड़ रुपये वे रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दे भी चुके हैं।


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