भूमि अधिग्रहण की आहट से खड़े हुए किसानों के कान
नव्य अयोध्या के लिए अकेले शाहनेवाजपुर ग्राम सभा में छह सौ से 650 एकड़ भूमि अधिग्रहण की तैयारी
अयोध्या : राममंदिर निर्माण के साथ संपूर्ण अयोध्या के विकास की संभावना प्रशस्त हो रही है, तो भूमि अधिग्रहण की आहट से किसानों के कान खड़े हो गए हैं। रामनगरी से लगी शाहनेवाजपुर ग्रामसभा में शायद सर्वाधिक सरगर्मी है। संभावित अधिग्रहण की जद में आ सकने वाले लोग जल्द से जल्द स्थिति स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार नव्य अयोध्या विकसित करने के लिए एक हजार एकड़ भूमि की जरूरत पड़ेगी।
अकेले शाहनेवाजपुर ग्राम से छह सौ से 650 एकड़ भूमि अधिग्रहण की तैयारी है। शाहनेवाजपुर की भूमि का कुल रकबा एक हजार एकड़ का है और इसमें से 60-65 फीसदी भूमि अधिग्रहण में जाने से कई किसानों के सामने भूमिहीन होने का खतरा उठ खड़ा हुआ है। नव्य अयोध्या के साथ भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा के लिए दो सौ एकड़ से अधिक भूमि माझा बरहटा में अधिग्रहीत की जानी है। इसी प्रकार नव्य अयोध्या और कुछ अन्य विकास योजनाओं के लिए माझा तिहुरा, तकपुरा, हैबतपुर, आसिफबाग आदि रामनगरी के दक्षिणी और दक्षिण पूर्व छोर से लगे दर्जन भर गांवों की जमीन अधिग्रहीत की जानी है। कुछ किसान ऐसे हैं, जिनकी जमीन शाहनेवाजपुर के अलावा आसपास की अन्य ग्राम सभाओं में हैं, पर उन ग्राम सभाओं में अधिग्रहण की आहट से उनके सिर पर भी भूमिहीन होने की तलवार लटक रही है।
शाहनेवाजपुर के किसान दिनेश यादव भल्लू कहते हैं, हर दूसरे-तीसरे दिन अखबारों में नव्य अयोध्या के लिए भूमि अधिग्रहण की खबर आ रही है और अधिग्रहण की तैयारियों के तहत प्रशासन का ड्रोन कैमरा भी प्राय: उड़ता नजर आता है, पर जिनकी भूमि ली जानी है, उनसे कोई बात ही नहीं की जा रही है। एक अन्य कृषक अशोक कुमार के पास चार भाइयों के बीच 14 बिस्वा भूमि है, उन्हें डर है कि भूमि अधिग्रहण के चलते वे कहीं घर विहीन न हो जाएं। सिकंदर यादव का 16 सदस्यीय परिवार खेती पर ही निर्भर है। करीब 15 बीघा भूमि से उनके परिवार का भरण-पोषण होता है। उन्हें चिता है कि अधिग्रहण से उनकी भूमि ही नहीं जायेगी, जीविका भी चली जायेगी। किसान इंद्रभूषण दुबे कहते हैं, राम मंदिर निर्माण के साथ आज जब दुनिया यहां बसने जा रही है, तब यहां स्थित हमारा घर-रोजगार उजाड़ा जा रहा है। पूर्व प्रधान मनोज यादव नंगा कहते हैं, अधिग्रहण करना है, तो भ्रम दूर किया जाय और किसानों को विश्वास में लिया जाय। ताकि किसी अफवाह-अवरोध की गुंजाइश न हो।
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हम विकास विरोधी नहीं, पर हमारी भी सुनी जाय
ग्राम प्रधान श्यामजी दुबे कहते हैं कि हम अयोध्या के विकास में बाधा नहीं बनना चाहते, पर अधिग्रहण से पूर्व हमारी मांग सुनी जाय। पहला तो यह कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार 40 फीसदी भूमि अधिग्रहण से मुक्त रखी जाय, ताकि किसान नव्य अयोध्या में भी अपना घर और रोजगार स्थापित कर सकें और मुआवजा उसी सर्किल रेट के हिसाब से चार गुना दिया जाय, जिस रेट से प्रशासन ने स्टांप शुल्क तय किया है। यह उचित नहीं कि स्टांप शुल्क लेने के मौके पर प्रशासन जिस भूमि को आवासीय और व्यवसायिक करार देता है, किसानों का मुआवजा तय करते समय कृषि योग्य भूमि की दर को आधार बनाया जाय।