कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने को जांच शुरू
राजस्व अभिलेखागार से गायब मानचित्र की प्रति के लिए जिम्मेदार कर्मचारी की जवाबदेही तय करने के लिए एडीएम प्रशासन संतोष कुमार सिंह ने जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने जवाबदेही तय करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में गठित की है।
अयोध्या: राजस्व अभिलेखागार से गायब मानचित्र की प्रति के लिए जिम्मेदार कर्मचारी की जवाबदेही तय करने के लिए एडीएम प्रशासन संतोष कुमार सिंह ने जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने जवाबदेही तय करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता में गठित की है। कमेटी में एसओसी राजेश कुमार पांडेय व एआरओ भान सिंह शामिल हैं। यह जांच रुदौली तहसील के राजस्व गांव सैमसी में स्थित तालाब के मानचित्र की एक शीट गायब होने की है। यह मानचित्र शीट कलेक्ट्रेट स्थित राजस्व अभिलेखागार से गायब है। मुख्य राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तमदास गुप्त की जांच में राजस्व अभिलेखागार से मानचित्र की एक शीट गायब होने का तथ्य प्रकाश में आया है। संबंधित तालाब का राजस्व अभिलेखों में अंकन कराने में आरोपित धर्मेंद्र सिंह, निवासी भरतपुर मजरे सैमसी व शारदाप्रसाद को कोतवाली नगर में जिलाधिकारी के आदेश पर नामजद किया गया है। एडीएम के अनुसार राजस्व अभिलेखागार के बाद रुदौली तहसील स्थित अभिलेखागार के राजस्व अभिलेखों की छानबीन की जानी है। उनके अनुसार कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने की रिपोर्ट 15 दिन में जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
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चकबंदी अदालत रुदौली पहुंची जांच की आंच
जासं, अयोध्या: रुदौली तहसील के राजस्व ग्राम सैमसी स्थित तालाब की जांच चकबंदी अदालत रुदौली तक पहुंच गई है। तालाब से संबंधित मुकदमे की पत्रावली मुख्य राजस्व अधिकारी पुरुषोत्तमदास गुप्त ने सील कर दी है। पत्रावली में तमाम गड़बड़ियां सामने आने के बाद इसे सील कर चकबंदी अधिकारी रुदौली के पेशकार को सौंपा है। सीआरओ के बुलाने पर चकबंदी अधिकारी अरविद पांडेय नहीं आए। संबंधित तालाब की पत्रावली जांच में परीक्षण कराने के लिए पेशकार अन्नतराम जायसवाल लेकर सीआरओ के पास आया था। पेशकार ने बताया कि सीआरओ के सील करने के बाद पत्रावली सुरक्षित कर दी गई है। यह तालाब एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल का है। सीआरओ को उपलब्ध कराई गई धर्मेंद्र सिंह की तरफ से एक नकल के बाद चकबंदी अदालत की पत्रावली भी जांच के दायरे में आ गई। एफआइआर में नामजद शारदा प्रसाद के मुकदमे में पक्षकार बनाए जाने से भी चकबंदी अदालत की भूमिका संदेह के दायरे में है।