चुनावी चौपाल : लोकशाही के महापर्व में लोक के सपनों को लगे पर
जागरण की ओर से अयोध्या में आयोजित चुनावी चौपाल में दिखी अयोध्या के ढांचागत विकास की कसमसाहट।
अयोध्या, जेएनएन। लोकशाही में चुनाव महत्वाकांक्षाओं का भी संवाहक होता है। यदि चुनाव में भाग्य आजमाने वाले लोग जनता की नुमाइंदगी के साथ सत्ता और सियासत में प्रतिष्ठा हासिल करते हैं, तो जनता के सामने सपनों को साकार करने का मौका होता है। सिविल लाइंस स्थित अवंतिका होटल के सभागार मेंं आयोजित ज जागरण चुनावी चौपाल में यह सच्चाई बखूबी बयां हुई।
अयोध्या का ढांचागत विकास विषयक चौपाल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े जिम्मेदार लोगों ने बेहतरी के लिए अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार किया। विषय प्रवर्तन करते हुए आकाशवाणी के उद्घोषक अधिवक्ता देशदीपक मिश्र ने याद दिलाया कि अयोध्या कोई साधारण जगह नहीं है बल्कि मोक्षदायिनी तीर्थों में अग्रणी है पर यहां की जमीनी हकीकत अपनी इस विरासत से न्याय नहीं करती। इसके बाद वक्ताओं ने हर उन आयामों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया, जिससे रामनगरी को उसकी विरासत के अनुरूप गौरव-गरिमा प्रदान की जा सके।
अयोध्या को पर्यटन नगरी के तौर पर विकसित करने की दिशा में जो प्रयास चल रहे हैं, वह अपनी जगह हैं पर बुनियादी पहल के तौर पर जरूरी है कि सरकार समुचित आवासीय व्यवस्था, उचित दर पर जलपान-भोजन का प्रबंध एवं आवागमन की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित कराए। अरुण अग्रवाल, होटल व्यवसायी
निश्चित रूप से यहां पर्यटन की अपूर्व संभावना है और इस संभावना से न्याय करने के लिए अवध को अपनी लोककलाओं को जीवंत बनाना होगा। उदाहरण के तौर पर राजस्थान का पर्यटन विकास है, जिसके मूल में वहां की लोक कलाओं का आकर्षण अहम है। डॉ. प्रदीप खरे, पूर्व प्राचार्य-साकेत महाविद्यालय
अयोध्या रामनगरी के साथ गंगा-जमुनी विरासत की भी संवाहक है और इस विरासत के अनुरूप अयोध्या के मंदिरों और मार्गों की साज-सज्जा सुनिश्चित करने के साथ गुलाबबाड़ी एवं मकबरा जैसी नवाबकालीन धरोहर सहेनकर पर्यटन को बढ़ावा देना होगा। अरविंंद सिंंह, अध्यक्ष- अयोध्या बार एसोसिएशन
हमें हर बात के लिए सरकार पर निर्भरता की प्रवृत्ति से छुटकारा पाना होगा और अपने स्तर से अयोध्या को सजाने-संवारने का प्रयास करना होगा और यदि हम ईमानदारी से प्रयास करें, तो तस्वीर बदलनी असंभव नहीं है। मधु त्रिपाठी, निदेशिका-कनक किड्स इंटरनेशनल स्कूल
उद्यमिता को प्राथमिकता के आधार पर विकसित करने के साथ परिष्कृत नियोजन पर ध्यान देना होगा। प्राय: यह देखा जाता है कि बड़ी मुश्किल से सड़क बनती है और उसके बाद कभी केबिल डालने और कभी सीवर लाइन के नाम पर खुदाई शुरू हो जाती है। - प्रो. विनोद श्रीवास्तव, अविवि
अयोध्या का विकास अयोध्या की पौराणिक विरासत के अनुरूप होना चाहिए। पर्यटन विकास के साथ यहां वैदिक परंपरा की शिक्षा को भी प्रतिष्ठापित करने की जरूरत है, ताकि यहां आने वाले को अयोध्या की विरासत का समुचित बोध हो सके। - डॉ. प्रदीप त्रिपाठी, अविवि
यहां का बुद्धिजीवी और राजनीतिज्ञ यह दबाव बनाए कि रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण शीघ्रातिशीघ्र हो और जिस दिन यह संभव होगा, उस दिन अयोध्या के विकास को सुर्खाब के पर लग जाएंगे। ...और यह विकास बहुआयामी सिद्ध होगा। - महंत रामदास, नाका हनुमानगढ़ी
किसी भी क्षेत्र के विकास के मूल में बड़ी इंडस्ट्रीज हैं। जन प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे ऐसी इंडस्ट्रीज स्थापित कराएं, जिसमें 25 से 30 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिल सके। इस तरह की इंडस्ट्रीज क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली सिद्ध होगी। - भागीरथ पचेरीवाला, उद्यमी
प्रापर प्लाङ्क्षनग का संकट है। विकास प्राधिकरण का मास्टर प्लान 19 वर्ष पूर्व ही खत्म हो चुका है। इतने लंबे समय से इसका नवीनीकरण नहीं हो सका है। हालांकि नगरनिगम के गठन और रामकीपैड़ी के जीर्णोद्धार जैसी कुछ योजनाओं से उम्मीद बंधी है। चंद्रप्रकाश गुप्त, वरिष्ठ व्यापारी नेता
ऐसा नहीं है कि अयोध्या विकास से स्पर्शित नहीं है पर ऐसे प्रयासों को और संगठित-संवर्धित किए जाने की जरूरत है। मिसाल के तौर पर चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं हैं। कहीं बिङ्क्षल्डग तैयार हो गई, तो उपकरण नहीं है और उपकरण आया तो स्टॉफ नहीं है। - डॉ. चंद्रगोपाल पांडेय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष होम्योपैथी चिकित्सक सेवा संघ
औद्योगिक क्षेत्र में खाली पड़ी जमीनों की उपयोगिता सुनिश्चित होनी चाहिए। जहां उद्योग के नाम पर आवंटित अनेक भूखंड वर्षों से उद्योग शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, वहीं सारी तैयारी कर चुके उद्यमियों के लिए जमीन नहीं है। इस विसंगति से छुटकारा मिलना चाहिए। आशीष अग्रवाल, उद्यमी
जीवन चल रहा है और इसी के साथ शहर और क्षेत्र की यात्रा भी आगे बढ़ रही है पर चौपाल में जो समस्याएं सामने आईं यदि उनका निराकरण संभव हो सका, तो अयोध्या ऐसी उड़ान भरेगी जिसकी आज कल्पना भी संभव नहीं है। सुरेंद्र सिंंह राने , उद्यमी
लोकसभा क्षेत्र के नुमाइंदे का काम है कि वह क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं से संतृप्त करे। रेलवे की ²ष्टि से बेहतर हो भी रहा है पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार दूर की कौड़ी है। क्षेत्र में आईआईटी एवं एम्स जैसे संस्थान की जरूरत है। प्रो. चयनकुमार मिश्र, अविवि
विकास के खूब दावे हो रहे हैं और कुछ पर अमल भी हो रहा है पर मोक्षदायिनी मानी जाने वाली रामनगरी में एक अदद श्मशानघाट की दशकों से दरकार है। यह जरूरत तब और भी अहम हो जाती है, जब अंतिम संस्कार के लिए सरयू तट पर दूर-दराज तक से शव लाए जाते हैं। अंजनी गर्ग, उद्यमी
अच्छी सड़कों का नवीनीकरण हो रहा है और बदहाल सड़कें अपने हाल पर छोड़ दी जा रही हैं। अतिक्रमण विरोधी अभियान में भेद-भाव किया जा रहा है। यदि विकास से न्याय किया जाना है, तो इस विडंबना से मुक्ति पानी होगी। शिवकुमार फैजाबादी, सेवानिवृत्त शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता
विकास के लिए व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत है। विकास का ऐसा मॉडल विकसित हो, जिसमें अगले 50 साल की योजनाएं समायोजित की जाएं, ताकि शहर को अनियोजित विकास से बचाया जा सके और योजनाएं महज कागजी होकर न रहें। प्रो. एमपी ङ्क्षसह, इतिहास विभागाध्यक्ष- अविवि
अयोध्या में रामलला और हनुमान जी विराजमान हैं। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं है। बस रोडमैप बनाकर उस पर ईमानदारी अमल करना होगा। ताकि पर्यटकों का प्रवाह अयोध्या की ओर निर्बाध गति से बढ़ सके। डॉ. रईस अहमद, चिकित्साधिकारी
अयोध्या में पर्यटक नहीं श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में अयोध्या का विकास पर्यटन की बजाय तीर्थनगरी के रूप में होना चाहिए। इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मौजूदा अयोध्या का विकास संभव नहीं है और नव्य अयोध्या विकसित करनी होगी। सूर्यकांत पांडेय, प्रबंध निदेशक- शहीद शोध संस्थान
इसमें कोई शक नहीं कि केंद्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकार ने अयोध्या के विकास की हिम्मत दिखाई है। नगरनिगम का गठन इसी में से एक है। काम भी हो रहे हैं। मार्गों का समुचित प्रबंध और पर्यावरण संरक्षण की ओर भी ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामदिनेशाचार्य, हरिधाम- अयोध्या
अयोध्या की हनुमानगढ़ी मल्ल विद्या की प्रमुख केंद्र रही है। इस विरासत को ध्यान में रखकर सरकार अयोध्या में आधुनिक अखाड़ा एवं पहलवानों को समुचित प्रशिक्षण दिलाए। ताकि शौकिया पहलवानी करने वाले नागा साधु भी देश को पदक दिला सकें। महंत अर्पितदास, सखी हनुमान मंदिर