बहानेबाजी कर रहा निर्मोही अखाड़ा : धर्मदास
अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़ा ने जहां यह कहा कि उनके यहां डकैती में वे कागज भी चोरी चले गए जिससे रामजन्मभूमि पर उनका स्वामित्व सिद्ध होता वहीं इसी के साथ निगाहें धर्मदास की ओर उन्मुख हुई हैं। निर्मोही की तरह वैष्णव संतों के एक अन्य अखाड़ा निर्वाणी अनी के श्रीमहंत धर्मदास के गुरु 1949 में रामलला के प्राकट्य प्रसंग के अहम किरदार रहे हैं और कथित रूप से विवादित इमारत में रामलला के प्राकट्य के मामले में वे आरोपी बनाए गए थे। इसी विरासत के आधार पर धर्मदास भी अदालत में मंदिर के पक्षकार हैं।
अयोध्या : रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़ा ने जहां यह कहा कि उनके यहां डकैती में वे कागज भी चोरी चले गए, जिससे रामजन्मभूमि पर उनका स्वामित्व सिद्ध होता, वहीं इसी के साथ निगाहें धर्मदास की ओर उन्मुख हुई हैं। निर्मोही की तरह वैष्णव संतों के एक अन्य अखाड़ा निर्वाणी अनी के श्रीमहंत धर्मदास के गुरु 1949 में रामलला के प्राकट्य प्रसंग के अहम किरदार रहे हैं और कथित रूप से विवादित इमारत में रामलला के प्राकट्य के मामले में वे आरोपी बनाए गए थे। इसी विरासत के आधार पर धर्मदास भी अदालत में मंदिर के पक्षकार हैं। बहरहाल, निर्मोही अखाड़ा जिस डकैती का जिक्र कर रहा है, वह रामलला विराजमान के समीप ही स्थित निर्मोही अखाड़ा के कक्ष की है। यह घटना 1982 की है और इस मामले में महंत धर्मदास को अभियुक्त बनाया गया था। गुरुवार को जागरण से दूरभाष पर बातचीत के दौरान महंत धर्मदास ने कहा, कोर्ट ने इस मामले में उनको पहले ही बरी कर दिया है और सच्चाई यह है कि निर्मोही अखाड़ा बहानेबाजी कर रहा है, राममंदिर पर उसकी कोई दावेदारी नहीं बनती है।
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