मंदिर निर्माण के लिए विधेयक पारित कराए सरकार
अयोध्या : रामघाट स्थित श्यामासदन मंदिर में धर्मसेना के संयोजन में धर्मसंसद का आयोजन किया गया एव
अयोध्या : रामघाट स्थित श्यामासदन मंदिर में धर्मसेना के संयोजन में धर्मसंसद का आयोजन किया गया एवं सर्वसम्मत से संपूर्ण अधिग्रहीत क्षेत्र में विधेयक पारित कर भव्य मंदिर निर्माण की मांग की गई। धर्मसंसद का उद्घाटन साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. एचबी ¨सह ने भगवान राम के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, राम हमारे अस्तित्व से जुड़े हैं। करोड़ों राम भक्तों की यह चिर प्रतीक्षित अभिलाषा है कि रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण हो। धर्मसेना के संस्थापक संतोष दुबे ने कहा, यदि सरकार ने समय रहते निर्णय नहीं लिया तो केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए भाजपा सरकार को विधेयक लाने का भी सुझाव दिया। दुबे ने कहा, यह नहीं चलने वाला है कि रामलला टाट में और नेता लोग ठाठ में रहें।
¨हदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय ने कहा, राम से बड़ी कोई कोर्ट नहीं है और राम भक्त अपने तपबल व बाहुबल से संपूर्ण अधिग्रहीत क्षेत्र पर भव्य मंदिर का निर्माण कराएंगे। इस मौके पर संत करपात्री, सद्गुरुसदन के महंत सियाकिशोरीशरण, दर्शनभवन की महंत डॉ. ममता शास्त्री ने भी विचार रखे और मंदिर निर्माण में विलंब को असहनीय बताया। तदुपरांत धर्मसंसद में उपस्थित सौ के करीब साधु-संतों एवं ¨हदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने जयश्रीराम का नारा लगाते हुए प्रस्ताव पारित किया। मांग की गई कि केंद्र सरकार 2019 से पहले लोकसभा एवं राज्यसभा का संयुक्त अधिवेशन बुलवाकर राममंदिर निर्माण के पक्ष में विधेयक पारित करे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अयोध्या आकर रामलला का दर्शन करने की मांग भी की गई। धर्म संसद की अध्यक्षता श्यामासदन के महंत गोपालदास ने की एवं संचालन अयोध्या धाम समिति के संयोजक संजय महेंद्रा ने किया।
कार्यक्रम में चाणक्य परिषद के संरक्षक कृपानिधान तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता वेदप्रकाश राजपाल, ¨हदू युवा वाहिनी के जिला संयोजक पवन मिश्र, ज्ञान केशरवानी, कथावाचक महंत पवनदास शास्त्री, रामलखन पांडेय, शिवसेना नेता वीएन शुक्ल, शिवगोपाल शुक्ल, दीपक चौधरी, डॉ. रमेशचंद्र भारद्वाज, शिवेंद्र शुक्ल, विजय आर्य, चंद्रहास दीक्षित, दिग्विजय चौबे, गिरिजाशंकर पटेल, शरद पाठक बाबा आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।